Justice Yashwant Varma Cash Scandal – मार्च महीने में दिल्ली (Delhi) के तुगलक क्रिसेंट (Tughlaq Crescent) स्थित सरकारी आवास में स्टोर रूम से भारी मात्रा में अधजले कैश मिलने के बाद विवादों में आए जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा गठित जांच समिति ने अब अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया है कि जिस स्टोर रूम से ये कैश मिला था, वह जस्टिस वर्मा के प्रत्यक्ष नियंत्रण में था और वहां केवल उनके और उनके परिवार के सदस्यों को ही पहुंच की अनुमति थी।
22 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने जांच पूरी कर गुरुवार को 64 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में दो बड़े बिंदुओं को आधार बनाते हुए जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग (Impeachment) चलाने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के पूर्व न्यायाधीश वर्मा के स्टोर रूम पर पूर्ण पारिवारिक निगरानी थी और उस स्थान तक किसी बाहरी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं थी।
जांच समिति ने इस मामले में कुल 55 गवाहों से पूछताछ की और जस्टिस वर्मा का भी बयान दर्ज किया। एनडीटीवी (NDTV) की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट हुआ कि 30 तुगलक क्रिसेंट के स्टोर रूम में रखे गए नकदी की जानकारी और उस पर नियंत्रण सीधे जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के पास था। समिति ने लिखा, “हमने यह पाया कि जिस परिसर में नकद राशि बरामद हुई, वह न्यायमूर्ति वर्मा के अधीन था और वहां अन्य किसी को जाने की इजाजत नहीं थी।”
गौरतलब है कि मार्च में जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ था। आग बुझाने के दौरान स्टोर रूम से अधजली नोटों की गड्डियां मिली थीं, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चला गया।
प्राथमिक जांच के बाद ही उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन उन्हें अभी तक कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन परिस्थितियों को देखते हुए जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त सबूत और आधार मौजूद हैं।
यह मामला देश की न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की इस रिपोर्ट ने इस संवेदनशील प्रकरण में न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है।






