Sikh Museum Manmohan Singh Controversy को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। गोल्डन टेंपल (Golden Temple) परिसर स्थित सिख संग्रहालय (Sikh Museum) में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) की तस्वीर लगाए जाने के फैसले के खिलाफ सख्त आपत्ति दर्ज की गई है। यह आपत्ति 1995 में पंजाब (Punjab) के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (Beant Singh) की हत्या के दोषी और वर्तमान में पटियाला जेल (Patiala Jail) में बंद बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC – Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee) को पत्र लिखकर जताई है।
राजोआना ने अपने पत्र में लिखा कि डॉ. मनमोहन सिंह उस कांग्रेस पार्टी (Congress Party) का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे वह सिखों पर हुए अत्याचारों, विशेष रूप से 1984 के सिख विरोधी दंगों (1984 anti-Sikh riots) का जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने SGPC से सवाल किया कि क्या ऐसा व्यक्ति, जो उस पार्टी से जुड़ा है जिसने सिखों के खिलाफ अन्याय किए, सिख संग्रहालय में स्थान पाने का हकदार है? उन्होंने इसे सिखों की शहादत और इतिहास का अपमान बताया।
बलवंत सिंह राजोआना ने लिखा, “डॉ. मनमोहन सिंह उस राजनीतिक पार्टी के प्रधानमंत्री रहे हैं जो सिख कत्लेआम की दोषी है। उनका चित्र सिख म्यूजियम में लगाने का कोई औचित्य नहीं है।” उन्होंने SGPC से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है और कहा कि इससे सिख समुदाय की भावनाएं आहत हो रही हैं।
ज्ञात रहे कि बलवंत सिंह राजोआना को 1995 में बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया था और वह तब से पटियाला जेल में सजा काट रहे हैं। उनका यह पत्र SGPC के समक्ष यह बड़ा सवाल खड़ा करता है कि सिख संस्थानों में किन नेताओं और व्यक्तित्वों को मान्यता दी जाए।
इस मुद्दे पर SGPC की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन धार्मिक और राजनीतिक हलकों में इस विषय को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सिख समुदाय के भीतर भी इस पर गहरी बहस चल रही है। एक पक्ष राजोआना के समर्थन में है जबकि दूसरा पक्ष डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को देखते हुए उनकी तस्वीर को संग्रहालय में बनाए रखने के पक्ष में है।
यह विवाद न सिर्फ SGPC की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाता है, बल्कि सिख समुदाय के भीतर ऐतिहासिक दृष्टिकोण और वर्तमान राजनीतिक मतभेदों को भी उजागर करता है।






