SGPC Petition on Rajona Case : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने स्पष्ट कर दिया है कि भाई बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajona) से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल की गई 2012 की पिटीशन वापस नहीं ली जाएगी। यह निर्णय SGPC प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी (Advocate Harjinder Singh Dhami) ने चंडीगढ़ (Chandigarh) में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में लिया गया, जिसमें उन्होंने बताया कि यह फैसला सिख संगठनों, विधि विशेषज्ञों और श्री अकाल तख्त साहिब (Akal Takht Sahib) की सहमति से लिया गया है।
धामी ने स्पष्ट रूप से कहा कि सिख समुदाय को न्याय दिलाने के लिए अब सरकार के दबाव में आने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारें अब उस स्तर तक गिर चुकी हैं कि तख्त साहिब (Takht Sahib) के आदेशों को भी नजरअंदाज कर रही हैं। इसी वजह से तय किया गया कि SGPC अपनी याचिका को वापस नहीं लेगी।
धामी ने बताया कि हाल ही में उन्होंने राजोआना (Rajona) से मुलाकात की थी और इसके बाद कई सिख संगठनों और विधि विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किया गया था। इस चर्चा में सर्वसम्मति से यह राय बनी कि याचिका को किसी भी स्थिति में नहीं हटाना चाहिए, क्योंकि यह सरकार के दबाव में झुकना होगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की ओर से पहले SGPC की कमेटी को मिलने का समय दिया गया, लेकिन बाद में बैठक को अचानक रद्द कर दिया गया।
धामी ने केंद्र सरकार की 2019 की नोटिफिकेशन का भी हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से जगतार सिंह हवारा (Jagtar Singh Hawara) और बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajona) का नाम शामिल है। इस नोटिफिकेशन में संकेत था कि उनकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि 2007 में फांसी की सज़ा मिलने के बाद से राजोआना 18 वर्षों से इंतजार कर रहे हैं, जो पूरी तरह अन्यायपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट में सिख वकीलों की एंट्री
धामी ने यह भी बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट में सिख कैदियों की रिहाई से जुड़े मामलों में सिख समुदाय से जुड़े वकीलों को भी जोड़ा जाएगा, ताकि उनकी आवाज को प्रभावी ढंग से अदालत में रखा जा सके। इससे न्याय प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी और समुदाय का भरोसा बरकरार रहेगा।
जल्द होगी अमृतसर में बड़ी बैठक
SGPC प्रधान ने यह घोषणा भी की कि आने वाले दिनों में तेजा सिंह समुद्री हॉल (Teja Singh Samundri Hall), अमृतसर (Amritsar) में एक विशेष बैठक बुलाई जाएगी। इसमें बड़ी संख्या में संगत और सिख प्रतिनिधि शामिल होंगे, जहां इस मुद्दे पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। SGPC का यह निर्णय आने वाले समय में सिख राजनीति और न्याय व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।






