Lance Naik Manoj Phogat Death : हरियाणा (Haryana) के चरखी दादरी (Charkhi Dadri) जिले के गांव समसपुर (Samsapur) निवासी लांसनायक मनोज फोगाट (Lance Naik Manoj Phogat) की पंजाब (Punjab) के कपूरथला (Kapurthala) में गोली लगने से मौत हो गई है। वह भारतीय सेना में तैनात थे और हाल ही में अपने बेटे के जन्मदिन की छुट्टी मनाकर ड्यूटी पर लौटे थे। इस दुखद घटना की जानकारी अभी तक उनके परिवार को औपचारिक रूप से नहीं दी गई है, लेकिन गांव में इस बात की खबर फैल चुकी है और चारों ओर शोक की लहर है।
मनोज फोगाट की उम्र 34 वर्ष थी और उन्होंने वर्ष 2011 में ग्रेनेडियर रेजिमेंट (Grenadier Regiment) में सिपाही के रूप में भर्ती ली थी। गुरुवार सुबह उनकी गोली लगने से मृत्यु हो गई, हालांकि सेना की ओर से अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि गोली कैसे और किन परिस्थितियों में चली।
मनोज अपने पीछे मां संतोष (Santosh), पत्नी रेखा (Rekha), 8 वर्षीय बेटी दीक्षा (Diksha) और 6 वर्षीय बेटा प्रिंस (Prince) को छोड़ गए हैं। उनके पिता रणबीर (Ranbir), भाई कर्मपाल (Karampal) और बहन का पहले ही निधन हो चुका है। रणबीर पशुपालन का कार्य करते थे और दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हुई थी। भाई की रेल दुर्घटना में और बहन की बीमारी से मृत्यु हो चुकी थी।
गुरुवार सुबह 6:10 बजे गांव के ही सूबेदार योगेंद्र (Subedar Yogendra) को सेना की ओर से फोन कर मनोज को गोली लगने की सूचना दी गई। योगेंद्र पहले कपूरथला यूनिट में मनोज के साथ तैनात रह चुके हैं। सूचना मिलने के बाद गांव से 5-6 लोग कपूरथला के लिए रवाना हो गए।
मनोज के दोस्त हरेंद्र (Harendra) ने बताया कि वह 15 दिन पहले छुट्टी पर आए थे और भारत-पाक तनाव के चलते उन्हें जल्दी ड्यूटी पर बुला लिया गया था। 4 मई को वह वापस ड्यूटी पर लौटे थे। मनोज को स्टेशन तक छोड़ने गए दोस्त को इस खबर से गहरा सदमा लगा है। गांव में किसी भी घर का चूल्हा नहीं जला और माहौल बेहद गमगीन है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी (CM Nayab Saini) ने सोशल मीडिया पर शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “गांव समसपुर के वीर सपूत मनोज फोगाट देश की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। मैं उनकी शहादत को नमन करता हूं। यह देश सदा उनके बलिदान को याद रखेगा।” मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना भी व्यक्त की।
मनोज का अंतिम संस्कार शुक्रवार को गांव समसपुर में किया जाएगा। पूरा गांव अब उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी में जुटा है और हर कोई गर्व और दुख की मिली-जुली भावना से भर गया है।






