Bleed India with Thousand Cuts Doctrine : भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच वर्षों से चला आ रहा तनाव केवल सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी रणनीति छुपी है जिसे पाक सेना (Pakistan Army) ने ‘ब्लीड इंडिया विथ थाउजेंड कट्स’ (Bleed India with Thousand Cuts) का नाम दिया है। हाल ही में हुए पहलगाम (Pahalgam) आतंकी हमले को भी इसी नीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह रणनीति भारत को एक सीधा युद्ध नहीं, बल्कि छोटे-छोटे आतंकी हमलों और तनावों के जरिए लगातार नुकसान पहुंचाने की नीति है।
इस विचारधारा की शुरुआत 1971 की भारत-पाक युद्ध के बाद हुई थी। पाकिस्तान को तीन युद्धों में हार का सामना करना पड़ा — 1947-48, 1965 और 1971 — जिससे उसे यह समझ आ गया कि भारत को सीधे युद्ध में हराना संभव नहीं है। ऐसे में जनरल जिया उल हक (General Zia-ul-Haq) ने इस नई नीति की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारत को ‘एक हजार घाव’ देना था। यानी देश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार आतंकवादी हमलों के जरिए अस्थिर करना।
जिया उल हक ने पाकिस्तान की सेना को कट्टर इस्लामिक विचारधारा की ओर मोड़ दिया। इस्लामिक चरमपंथ को सेना और देश की नीतियों का हिस्सा बना दिया गया। मेजर जनरल ध्रुव कटोच (Major General Dhruv Katoch) के रिसर्च पेपर ‘Combatting Cross-Border Terrorism: Need for a Doctrinal Approach’ के अनुसार, 1971 की हार के बाद पाकिस्तानी नेतृत्व ने यह तय कर लिया था कि कश्मीर (Kashmir) को हथियारों से नहीं, बल्कि चरमपंथ और आतंक के जरिए हासिल किया जाएगा।
इसी नीति के तहत 1980 के दशक में सीमा पार आतंकवाद की शुरुआत हुई। आतंकियों को प्रशिक्षित कर उन्हें जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) और भारत के अन्य हिस्सों में भेजा जाने लगा। इस काम को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) और सेना ने मिलकर जमात-उद-दावा (Jamaat-ud-Dawa) और लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) जैसे संगठनों को खड़ा किया।
दावत-उल-इरशाद (Dawat-ul-Irshad) की स्थापना 1987 में हाफिज सईद (Hafiz Saeed), जफर इकबाल (Zafar Iqbal) और अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azzam) ने की थी। यह संगठन आगे चलकर जमात-उद-दावा में परिवर्तित हुआ। जमात-उद-दावा एक उग्र इस्लामिक संगठन है जो इस्लाम की खिलाफत स्थापित करने की वकालत करता है। इसी विचारधारा को हथियार बनाकर लश्कर-ए-तैयबा जैसी आतंकी शाखा को खड़ा किया गया, जिसने मुंबई (Mumbai) समेत कई स्थानों पर आतंकी हमलों को अंजाम दिया।
आईएसआई और पाकिस्तान सरकार ने इन्हें न सिर्फ समर्थन दिया, बल्कि गोपनीय रूप से फंडिंग भी की। लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) का इस्तेमाल पाकिस्तान ने कश्मीर के अलावा भारत के अन्य हिस्सों में भी आतंक फैलाने के लिए किया।
हालांकि भारत ने आतंक के खिलाफ अभियान चलाया और वैश्विक सहयोग (जैसे अमेरिका) के साथ प्रयास किए, फिर भी पाकिस्तान की यह ‘ब्लीड इंडिया’ नीति आज भी जारी है। यही वजह है कि हर बड़ा आतंकी हमला चाहे वह कश्मीर में हो या अन्य किसी क्षेत्र में — इस रणनीति का हिस्सा नजर आता है।






