Caste Reservation Limit : जातिगत जनगणना (Caste Census) की संभावनाओं के बीच कांग्रेस (Congress) ने एक बार फिर से आरक्षण (Reservation) को लेकर बड़ा सियासी दांव चला है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक पत्र लिखकर तीन महत्वपूर्ण मांगें सामने रखी हैं। इसमें सबसे प्रमुख मांग है—आरक्षण की वर्तमान 50 प्रतिशत सीमा (50% Reservation Cap) को खत्म किया जाए। खरगे ने पत्र में लिखा है कि उन्होंने 16 अप्रैल 2023 को भी इसी विषय पर पत्र भेजा था, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। अब जबकि केंद्र सरकार खुद जातिगत जनगणना को सामाजिक न्याय के लिए जरूरी मान रही है, तो इन मांगों पर गंभीर विचार किया जाना चाहिए।
जातिगत जनगणना पर प्रधानमंत्री @narendramodi जी को मेरा पत्र
पत्र के कुछ अंश साझा कर रहा हूँ, पूरा पत्र संलग्न है —
मैंने 16 अप्रैल 2023 को आपको पत्र लिखकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जातिगत जनगणना कराने की मांग आपके समक्ष रखी थी। अफ़सोस की बात है कि मुझे उस पत्र का कोई… pic.twitter.com/FAeZ0jkAfY
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 6, 2025
खरगे ने इस पत्र में तीन ठोस सुझाव दिए हैं। पहला, आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) के जरिए हटाया जाए। दूसरा, तमिलनाडु (Tamil Nadu) की तर्ज पर राज्यों द्वारा पारित आरक्षण कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) में डाला जाए ताकि उन्हें न्यायिक समीक्षा से संरक्षण मिले। तीसरा, निजी शिक्षण संस्थानों (Private Educational Institutions) में आरक्षण को लागू किया जाए ताकि एससी (SC), एसटी (ST) और ओबीसी (OBC) वर्गों को समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
तेलंगाना मॉडल को लागू करने की मांग
खरगे ने अपने पत्र में कांग्रेस शासित तेलंगाना (Telangana) राज्य में हुए जातिगत सर्वेक्षण का उल्लेख करते हुए सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को जनगणना के लिए उसी मॉडल को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल जाति की गिनती करना काफी नहीं है, बल्कि हर जाति की सामाजिक-आर्थिक स्थिति (Socio-Economic Status) को भी दर्ज किया जाना चाहिए। इसके आधार पर नीति निर्माण किया जा सकता है और सामाजिक न्याय सुनिश्चित हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया के अंत में कोई भी डेटा या रिपोर्ट छिपाई नहीं जानी चाहिए ताकि समाज की प्रगति को सही ढंग से मापा जा सके।
संविधान संशोधन की आवश्यकता पर जोर
खरगे ने स्पष्ट किया कि जातिगत जनगणना के जो भी परिणाम आएं, उन्हें ध्यान में रखते हुए आरक्षण की अधिकतम सीमा को समाप्त करना आवश्यक होगा। उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(5) [Article 15(5)] का हवाला देते हुए कहा कि इस प्रावधान के तहत निजी संस्थानों में भी आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2014 में वैध ठहराया था। इसके आधार पर अब नए कानून की आवश्यकता है जो इसे और सुदृढ़ बनाए।
कांग्रेस की रणनीतिक सिफारिशें
खरगे ने संसद की स्थायी समिति की 364वीं रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें उच्च शिक्षा विभाग के लिए अनुदान की मांग पर अनुच्छेद 15(5) को लागू करने हेतु नया कानून बनाने की सिफारिश की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना किसी भी तरह से विभाजनकारी नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक न्याय (Social and Economic Justice) को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार सभी राजनीतिक दलों से तत्काल बातचीत करे और इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए कार्य करे।
जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति को धार देते हुए आरक्षण पर तीन ठोस मांगों के साथ प्रधानमंत्री मोदी को सीधी चुनौती दी है। यह पत्र न केवल आगामी राजनीतिक घटनाक्रम को प्रभावित कर सकता है बल्कि सामाजिक न्याय और आरक्षण नीति में भी बड़े बदलाव का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।






