वॉशिंगटन (Washington) 25 जनवरी (The News Air): डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, अमेरिका ने विदेशी सहायता कार्यक्रमों को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय (US State Department) ने लगभग सभी विदेशी सहायता परियोजनाओं की आर्थिक मदद पर अस्थायी रोक लगा दी है। इस फैसले का असर स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर पड़ने की संभावना है।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले ने वैश्विक मानवीय प्रयासों को गहरा झटका दिया है। हालांकि, इज़रायल (Israel) और मिस्र (Egypt) को मिलने वाली सैन्य सहायता और मानवीय खाद्य कार्यक्रमों को इस रोक से बाहर रखा गया है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
इस कदम को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है। प्रशासन का मानना है कि अमेरिका को उन कार्यक्रमों में पैसा खर्च करना चाहिए, जो सीधे तौर पर उसके राष्ट्रीय हित से जुड़े हों।
आदेश की मुख्य बातें:
नए सरकारी खर्च पर रोक:
अमेरिकी दूतावासों (US Embassies) को भेजे गए आदेश में सभी नए खर्चों पर रोक लगा दी गई है।पूर्व स्वीकृत फंड का उपयोग:
केवल उन्हीं कार्यक्रमों को जारी रखा जाएगा, जिनके लिए पहले ही फंड स्वीकृत हो चुका है।समीक्षा प्रक्रिया:
विदेश मंत्रालय (State Department) हजारों विदेशी सहायता कार्यक्रमों की समीक्षा करेगा और तय करेगा कि किन्हें जारी रखा जाए।
स्वास्थ्य और शिक्षा पर संकट
इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव उन देशों पर पड़ने वाला है, जो स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अमेरिका की आर्थिक मदद पर निर्भर हैं।
- स्वास्थ्य क्षेत्र: अमेरिका द्वारा फंड किए जा रहे कई स्वास्थ्य कार्यक्रम, जैसे पोलियो (Polio) उन्मूलन, टीकाकरण (Vaccination), और HIV/AIDS उपचार, रुकने की कगार पर हैं।
- शिक्षा और विकास: शिक्षा और रोजगार प्रशिक्षण प्रोजेक्ट्स भी इस रोक के दायरे में आ गए हैं।
मानवीय संगठनों की निराशा
मानवीय संगठनों और अधिकारियों ने इस फैसले पर निराशा जाहिर की है। खासतौर पर स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी परियोजनाओं के लिए कोई विशेष छूट नहीं दी गई है। इन संगठनों का कहना है कि इस कदम से गरीब और विकासशील देशों में कई जीवन-रक्षक सेवाएं बंद हो सकती हैं।
अवैध अप्रवासियों पर सख्त रुख
राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप प्रशासन ने अवैध अप्रवासियों (Illegal Immigrants) पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।
निर्वासन उड़ानें (Deportation Flights):
अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने के लिए सैन्य विमानों का उपयोग शुरू हो गया है।नागरिकता पर नई नीति:
बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के बच्चों को अब अमेरिका का नागरिक नहीं माना जाएगा।
क्या है आगे की योजना?
यह फैसला केवल शुरुआत है। ट्रंप प्रशासन ने इशारा किया है कि भविष्य में और भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। इसके तहत केवल उन्हीं परियोजनाओं को फंडिंग दी जाएगी, जो अमेरिका के रणनीतिक और आर्थिक हितों को सीधा लाभ पहुंचाती हैं।
वैश्विक प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। कई देशों ने इस फैसले पर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वैश्विक सहयोग को कमजोर कर सकता है और कई विकासशील देशों की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम उनके “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण को दर्शाता है। हालांकि, इसका असर केवल अमेरिकी बजट पर नहीं बल्कि दुनियाभर के मानवीय प्रयासों और विकासशील देशों की परियोजनाओं पर भी पड़ेगा। यह देखना बाकी है कि इस फैसले का दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा।