अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने H-1B वीजा पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि वह इसे बंद नहीं करेंगे। उनके इस बयान से भारतीय पेशेवरों के साथ-साथ अन्य देशों के कुशल कामगारों ने राहत की सांस ली है। यह वीजा भारतीय आईटी और तकनीकी पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करने का मुख्य आधार है।
हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने अप्रवासियों के लिए अन्य सख्त नीतियां लागू की हैं, जिसमें जन्मसिद्ध नागरिकता का अधिकार खत्म करने और अप्रवासियों को वापस भेजने के कार्यकारी आदेश शामिल हैं। इसके बावजूद H-1B वीजा पर उनका यह सकारात्मक दृष्टिकोण तकनीकी उद्योग के लिए एक बड़ी राहत है।
व्हाइट हाउस में तकनीकी जगत के दिग्गजों के साथ चर्चा : ट्रंप ने व्हाइट हाउस (White House) में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘ओरेकल’ (Oracle) के CTO लैरी एलिसन (Larry Ellison), ‘सॉफ्टबैंक’ (SoftBank) के CEO मासायोशी सोन (Masayoshi Son), और ‘ओपन एआई’ (OpenAI) के CEO सैम ऑल्टमैन (Sam Altman) के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा: “हमारे देश को बेहद कुशल और सक्षम लोगों की आवश्यकता है। मैं केवल इंजीनियरों की बात नहीं कर रहा, बल्कि हर स्तर पर कुशल कामगारों की जरूरत है।”
H-1B वीजा पर विरोध और समर्थन के बीच ट्रंप का संतुलित दृष्टिकोण : ट्रंप ने H-1B वीजा के समर्थन और विरोध दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। जहां Tesla के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) जैसे उद्योगपति इस वीजा का समर्थन करते हैं और इसे अमेरिका में प्रतिभा लाने का साधन मानते हैं, वहीं कुछ लोग इसे अमेरिकी नागरिकों से नौकरियां छीनने वाला मानते हैं।
मस्क का कहना है कि H-1B वीजा प्रोग्राम से अमेरिका को योग्य और प्रतिभाशाली तकनीकी पेशेवर मिलते हैं। वहीं, ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को इन कुशल पेशेवरों की जरूरत है, और यह वीजा प्रोग्राम इसका जरिया बना हुआ है।
ट्रंप के बयान का भारतीय समुदाय पर प्रभाव : H-1B वीजा भारतीय आईटी सेक्टर के लिए सबसे अहम वीजा प्रोग्राम है। लाखों भारतीय इस वीजा के जरिए अमेरिका में काम करते हैं। ट्रंप के बयान से भारतीय पेशेवरों को जहां राहत मिली है, वहीं अप्रवासियों के लिए उनकी सख्त नीतियां चिंता का कारण बनी हुई हैं।
राष्ट्रपति के फैसले का असर:
- भारतीय आईटी कंपनियां जैसे Infosys, TCS, और Wipro, जो बड़ी संख्या में H-1B वीजा पर कामगार भेजती हैं, उनके लिए यह सकारात्मक खबर है।
- अमेरिका में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों को अब अपने भविष्य को लेकर थोड़ी स्थिरता मिलेगी।
- तकनीकी क्षेत्र में कुशल कामगारों की मांग को ट्रंप ने सीधे तौर पर स्वीकार किया है।
H-1B वीजा प्रोग्राम क्यों है जरूरी? : H-1B वीजा अमेरिका में कुशल कामगारों की मांग को पूरा करता है। खासतौर पर IT सेक्टर, इंजीनियरिंग, और रिसर्च के क्षेत्रों में यह प्रोग्राम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ट्रंप के बयान से यह साफ है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था और तकनीकी प्रगति के लिए भारतीय और अन्य देशों के कुशल कामगार बेहद जरूरी हैं।
उनका यह फैसला एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहां अमेरिका की जरूरतों और वहां के नागरिकों के रोजगार के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश की जा रही है।
Donald Trump का H-1B वीजा पर यह बयान न केवल भारतीय पेशेवरों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह अमेरिका और भारत के बीच तकनीकी और आर्थिक साझेदारी को भी मजबूत करता है। हालांकि, अन्य अप्रवासन नीतियों पर उनकी सख्त नीति ने अप्रवासियों के लिए चुनौतियां जरूर बढ़ाई हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में H-1B वीजा प्रोग्राम के जरिए कुशल कामगारों को कितना और समर्थन मिलता है।