चंडीगढ़, 22 जनवरी (The News Air) किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal), जो पिछले कुछ समय से आमरण अनशन पर थे, केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने के लिए तैयार हो गए हैं। यह बैठक 14 फरवरी को होगी, जिसे किसानों की लंबित मांगों को लेकर अहम माना जा रहा है।
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बताया कि डल्लेवाल और अन्य किसानों ने अब चिकित्सा सहायता ले ली है और बातचीत के लिए सकारात्मक रुख दिखाया है।
डल्लेवाल के अनशन का कारण और सरकार की प्रतिक्रिया : जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रमुख नेता हैं, लंबे समय से किसान हितों के मुद्दे उठा रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- किसानों की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गारंटी।
- किसानों के कर्ज माफी (Loan Waiver) का समाधान।
- केंद्र और राज्य सरकारों से लंबित सब्सिडी और मुआवजा।
केंद्र सरकार ने उनके मुद्दों को गंभीरता से लिया है, और 14 फरवरी की बैठक में इनके समाधान पर चर्चा होगी।
किसानों की सेहत पर भी ध्यान : पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि डल्लेवाल और अन्य अनशनकारियों ने अब चिकित्सा सहायता लेना शुरू कर दिया है। सरकार के अनुसार, अनशन से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा था, और समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप जरूरी हो गया था।
किसान नेताओं ने भी यह स्पष्ट किया कि वे समाधान की उम्मीद के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।
अनशन और किसान आंदोलन का प्रभाव : किसानों के आंदोलन ने देशभर में अपनी अलग छाप छोड़ी है। यह आंदोलन न केवल किसानों के मुद्दों को उजागर करने का माध्यम बना, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों को भी इन मुद्दों पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया।
साल 2020 के किसान आंदोलन के बाद, यह दूसरी बार है जब किसान नेतृत्व ने सरकार के साथ बातचीत के लिए सहमति दी है।
क्यों है 14 फरवरी की बैठक अहम? : यह बैठक किसान आंदोलन के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
- किसानों को उम्मीद है कि उनकी फसलों का MSP सुनिश्चित होगा।
- लंबित सब्सिडी और कर्ज माफी पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।
- किसानों और सरकार के बीच विश्वास बहाली की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।
बातचीत से किसान आंदोलन को नई दिशा : किसान आंदोलन ने देश में कृषि क्षेत्र के लिए कई नई बहसें छेड़ी हैं। जगजीत सिंह डल्लेवाल जैसे नेता किसानों की समस्याओं को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इस बार केंद्र सरकार के साथ होने वाली बातचीत से यह उम्मीद की जा रही है कि किसानों की लंबित समस्याओं का समाधान निकलेगा।
डल्लेवाल का यह कदम न केवल किसानों के लिए राहत ला सकता है, बल्कि सरकार और किसानों के बीच बेहतर संवाद की शुरुआत भी कर सकता है।