India-Indonesia Defense Deal : भारत और इंडोनेशिया (Indonesia) के बीच संभावित $450 मिलियन की ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल्स (BrahMos Supersonic Cruise Missiles) की डील चर्चा में है। अगर यह डील होती है, तो इंडोनेशिया, फिलीपींस (Philippines) के बाद एंटी-शिप क्रूज मिसाइल्स खरीदने वाला दूसरा देश बन जाएगा।
यह सौदा भारत के बढ़ते डिफेंस एक्सपोर्ट (Defense Export) को दर्शाता है, जो पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है। गणतंत्र दिवस 2025 के मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो (Prabowo Subianto) को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है, और उसी दौरान इस डील की घोषणा होने की संभावना है।
BrahMos Missiles: खासियत और फायरिंग रेंज
- सुपरसॉनिक स्पीड: ब्रह्मोस मिसाइल्स को भारत और रूस (Russia) ने मिलकर डिवेलप किया है।
- फायरिंग रेंज: इसकी मारक क्षमता 380 किलोमीटर तक है।
- आधुनिक तकनीक: यह मिसाइल एंटी-शिप और जमीन से हवा में मार करने वाली तकनीक से लैस है।
सूत्रों के अनुसार, इंडोनेशिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस डील के लिए बजट का प्रबंधन करना है। दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में चीन (China) के बढ़ते दबदबे को देखते हुए दक्षिण एशिया के देश अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर रहे हैं।
भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट में बढ़ता दबदबा : हाल ही में डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात पिछले एक दशक में 2,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये हो गया है। भारत का लक्ष्य 2029 तक इस आंकड़े को 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है।
राजनाथ सिंह ने कहा:
- आर्मी ट्रेनिंग सेंटर्स: भविष्य के युद्धों की चुनौतियों के लिए ट्रेनिंग बेहद जरूरी है।
- आधुनिक युद्ध: आज के युद्ध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर अटैक (Cyber Attack), और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेपन्स का इस्तेमाल बढ़ गया है।
दक्षिण एशिया और इंडोनेशिया की भूमिका : भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस डील पर बातचीत पिछले एक दशक से चल रही है। रूस की मिलिट्री हार्डवेयर सप्लायर रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (Rosoboronexport) भी इस डील का हिस्सा है।
दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे के कारण क्षेत्रीय विवाद बढ़ रहा है। ऐसे में इंडोनेशिया और भारत जैसे देशों के बीच रक्षा सहयोग से क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनेगा।
डिफेंस डील का महत्व : यह डील भारत के लिए रक्षा निर्यात को बढ़ाने और एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने का बड़ा कदम हो सकता है। दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव और क्षेत्रीय विवादों के बीच भारत का यह कदम सैन्य क्षेत्र में नई ऊंचाइयां स्थापित करेगा।
इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ भारत का रक्षा सहयोग न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की बढ़ती टेक्नोलॉजिकल और डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को भी दर्शाता है।