चंडीगढ़ (Chandigarh), 18 जनवरी (The News Air): पंजाब के पटियाला जिले (Patiala District) के मादू गांव (Madu Village) में किसान आंदोलन की आड़ में अवैध वसूली का बड़ा मामला सामने आया है। शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के सरपंच बलजिंदर सिंह (Baljinder Singh) पर आरोप है कि उन्होंने अपने साथियों के साथ वाहनों से जबरन “गुंडा टैक्स” वसूला। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में सरपंच और उनके साथी पटियाला-अंबाला रोड (Patiala-Ambala Road) पर लिंक रोड से गुजरने वाले वाहनों से 200 रुपये टोल टैक्स वसूलते दिख रहे हैं।
वीडियो वायरल, पुलिस ने दर्ज किया केस : वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने सरपंच बलजिंदर सिंह, हरमनप्रीत सिंह (Harmanpreet Singh) और हरविंदर सिंह (Harvinder Singh) समेत तीन लोगों को नामजद किया है। तीन अन्य आरोपी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
एसपी जसवीर सिंह (SP Jasvir Singh) ने बताया: “हम मामले की जांच कर रहे हैं। यह पता लगाया जाएगा कि यह अवैध वसूली कब से चल रही थी और कितना पैसा वसूला गया।”
सरपंच और उनके साथियों ने इस वसूली को वैध दिखाने के लिए एक फर्जी नोटिस भी लगाया था, जिसमें दावा किया गया कि यह पैसा घग्गर नदी (Ghaggar River) पर बने पुल और सड़कों की मरम्मत के लिए इकट्ठा किया जा रहा है।
वाहन चालकों ने जब इस टोल की वैधता पर सवाल उठाया, तो उन्हें धमकाया गया। पुलिस के अनुसार, इस अवैध वसूली से दो दिनों में करीब 10,000 रुपये जमा किए गए।
सरपंच ने दी सफाई : सरपंच बलजिंदर सिंह ने कहा कि यह पैसा ग्राम सभा के प्रस्ताव के तहत लिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और स्थानीय विधायकों ने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया।
बलजिंदर सिंह ने कहा: “हमने कई बार स्थानीय विधायक और किसान नेताओं से संपर्क किया, लेकिन हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया। भारी ट्रैफिक के कारण गांव में दुर्घटनाएं हो रही थीं। हमने यह कदम मजबूरी में उठाया।”
आरोपों पर राजनीति गरमाई : आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक गुरलाल सिंह घनौर (Gurlal Singh Ghanaur) ने कहा: “सरपंच और उनके साथियों की यह हरकत शर्मनाक है। किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।”
वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने इसे किसानों के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया।
पुलिस की कार्रवाई : पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम बनाई गई है।
यह मामला किसान आंदोलन की छवि पर गहरा असर डाल सकता है। सवाल यह है कि क्या यह केवल स्थानीय समस्या है, या आंदोलन के नाम पर बड़े स्तर पर हो रही गड़बड़ियों की ओर इशारा करता है। पुलिस की जांच और आरोपियों की गिरफ्तारी से तस्वीर साफ होगी।
क्या यह किसान आंदोलन की आड़ में गलत गतिविधियों का नया ट्रेंड है? यह सवाल लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।