नई दिल्ली, 17 जनवरी (The News Air): दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच फ्री योजनाओं और बड़े ऐलानों की होड़ मच गई है। आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने एक से बढ़कर एक लोकलुभावन वादे किए हैं। जहां AAP ने अपनी मुफ्त बिजली-पानी और इलाज की योजनाओं को जारी रखने का दावा किया है, वहीं BJP और कांग्रेस ने महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं के लिए नई स्कीमें पेश की हैं।
दिल्ली के वोटरों के लिए कौन कितना तैयार है? आइए जानते हैं सभी दलों के बड़े वादे।
BJP के 5 बड़े वादे
- महिला समृद्धि योजना: BJP ने वादा किया है कि सत्ता में आते ही महिलाओं को हर महीने ₹2500 दिए जाएंगे।
- सस्ता सिलेंडर: गरीब परिवारों को ₹500 में गैस सिलेंडर, साथ ही होली और दीपावली पर 1-1 मुफ्त सिलेंडर मिलेगा।
- आयुष्मान योजना: दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू होगी, जिसमें ₹10 लाख तक का मुफ्त इलाज (₹5 लाख केंद्र + ₹5 लाख दिल्ली सरकार)।
- बुजुर्गों की पेंशन: 60-70 वर्ष के बुजुर्गों की पेंशन ₹2000 से बढ़ाकर ₹2500 और 70+ वर्ष के लिए ₹3000 की जाएगी।
- अटल कैंटीन: झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में ₹5 में पौष्टिक भोजन दिया जाएगा।
Congress के बड़े वादे
- 300 यूनिट मुफ्त बिजली: हर परिवार को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी।
- महंगाई मुक्ति योजना: ₹500 में सिलेंडर और मुफ्त राशन किट देने का वादा।
- प्यारी दीदी योजना: महिलाओं को हर महीने ₹2500 दिए जाएंगे।
- जीवन रक्षा योजना: ₹25 लाख तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा।
- बेरोजगारी भत्ता: शिक्षित बेरोजगारों को ₹8500 प्रतिमाह का भत्ता।
AAP की योजना और वादे
- मुफ्त बिजली और पानी: AAP ने 200 यूनिट बिजली और पानी मुफ्त देने का वादा जारी रखा है।
- महिला सम्मान योजना: महिलाओं को ₹2100 प्रतिमाह और बाद में इसे बढ़ाकर ₹2500 किया जाएगा।
- संजीवनी योजना: 60+ उम्र के सभी बुजुर्गों के लिए सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज।
- स्टूडेंट्स को मुफ्त सफर: छात्रों को बसों में मुफ्त यात्रा और मेट्रो किराए पर 50% छूट।
- पुजारियों और ग्रंथियों को ₹18,000: दिल्ली के पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 की सम्मान राशि।
दिल्ली के विधानसभा चुनावों में मुफ्त योजनाओं की होड़ ने जनता का ध्यान खींच लिया है। अब देखना होगा कि दिल्ली की जनता किसे अपना समर्थन देती है। क्या फ्री वादे चुनावी जीत की गारंटी बनेंगे या विकास की राजनीति को प्राथमिकता मिलेगी?
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