Engineer Baba (अभय सिंह), जो कभी IIT Mumbai (आईआईटी मुंबई) के छात्र और कनाडा में काम कर चुके प्रोफेशनल थे, अब महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) के सबसे चर्चित आध्यात्मिक चेहरों में से एक बन गए हैं। झज्जर (Jhajjar) के सासरौली गांव के रहने वाले अभय ने ग्लैमर और कॉर्पोरेट लाइफ को छोड़कर अध्यात्म का रास्ता चुना और अब प्रयागराज (Prayagraj) के त्रिवेणी संगम में ध्यान और साधना में लीन हैं।
IITian से Engineer Baba बनने तक का सफर : अभय के पिता कर्ण सिंह, जो एक वकील हैं, ने मीडिया से बातचीत में बताया:
“अभय बचपन से ही धुन का पक्का और बेहद होनहार था। अच्छे रैंक की वजह से उसे आईआईटी मुंबई में दाखिला मिला। कोरोना काल में उसने कनाडा में अपनी बहन के साथ रहकर नौकरी की, लेकिन मेडिटेशन के दौरान उसे आध्यात्मिकता की ओर आकर्षण हुआ।”
कर्ण सिंह ने बताया कि एक नेचुरोपैथी डॉक्टर ने भविष्यवाणी की थी कि अभय एक दिन अध्यात्म की राह पकड़ सकता है। उनके अनुसार, अभय ने पिछले 6 महीनों से परिवार के सभी फोन नंबर ब्लॉक कर दिए थे और अपने निर्णय को लेकर किसी से बात नहीं की।
परिवार के लिए चौंकाने वाला फैसला : अभय के परिवार ने बताया कि वह उज्जैन (Ujjain) के पिछले कुंभ मेले में भी गया था। अब उन्होंने महाकुंभ 2025 में ‘Engineer Baba’ के रूप में नई पहचान बनाई है। हालांकि, अभय के पिता चाहते हैं कि वह अपने घर लौट आए, लेकिन वे उस पर कोई दबाव नहीं डालना चाहते।
कर्ण सिंह ने भावुक होकर कहा: “अभय का फैसला हमें चौंकाने वाला है, लेकिन हो सकता है कि यह देश के लिए उसका बड़ा कदम हो।”
महाकुंभ में Engineer Baba की लोकप्रियता : महाकुंभ के श्रद्धालु और पर्यटक ‘Engineer Baba’ की सादगी और उनकी साधना की गहराई से प्रभावित हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही हैं। बाबा की कहानी युवाओं और प्रोफेशनल्स के लिए एक नई प्रेरणा बन रही है।
महाकुंभ में आस्था की डुबकी जारी : कड़ाके की ठंड के बावजूद महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। बुधवार को बिना किसी स्नान पर्व के भी हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर पहुंचे। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर 3.5 करोड़ लोगों ने पवित्र स्नान किया, और महाकुंभ 26 फरवरी तक जारी रहेगा।
विदेशी श्रद्धालु भी बने आकर्षण का केंद्र : महाकुंभ में सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी श्रद्धालु भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। Lauren Powell Jobs, जो एप्पल के संस्थापक Steve Jobs की पत्नी हैं, सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति को समझने के लिए प्रयागराज पहुंची हैं। उन्होंने अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ली और महाकुंभ का हिस्सा बनीं।
Engineer Baba की कहानी यह साबित करती है कि जीवन के भौतिक सुख और सफलता के बीच भी लोग आध्यात्मिक शांति की तलाश में निकल पड़ते हैं। महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि ऐसी प्रेरणादायक कहानियों का संगम भी है।
आपकी राय: क्या आध्यात्मिकता के लिए इस तरह का कदम उठाना सही है? हमें कमेंट्स में जरूर बताएं!