Harsha Richhariya, जो कभी ग्लैमर और मॉडलिंग की दुनिया का चमकता सितारा थीं, अब आध्यात्मिकता की मिसाल बन चुकी हैं। महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025), प्रयागराज (Prayagraj) में लाखों श्रद्धालुओं के बीच, उनका बदला हुआ जीवन चर्चा का विषय बना हुआ है।
उत्तराखंड (Uttarakhand) की रहने वाली हर्षा ने मॉडलिंग और एंटरटेनमेंट की चकाचौंध भरी दुनिया में नाम कमाया, लेकिन उन्हें असली शांति उस दुनिया से बाहर सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में मिली।
“असली शांति ग्लैमर में नहीं, सनातन धर्म में है” : महाकुंभ में हर्षा ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया: “ग्लैमर वर्ल्ड में बहुत नाम और पहचान मिली, लेकिन अंत में वो सब सिर्फ बाहरी था। असली शांति और सुकून सनातन धर्म की गहराई में है।”
हर्षा ने स्वामी कैलाशानंद गिरी (Swami Kailashanand Giri) से दीक्षा लेकर अपने जीवन को नई दिशा दी। दीक्षा के बाद हर्षा अब सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रही हैं।
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं का आकर्षण बनीं हर्षा : महाकुंभ 2025 में हर्षा का ग्लैमरस व्यक्तित्व और उनकी आध्यात्मिकता का मेल श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। कई लोग उन्हें देखने और उनके जीवन के अनुभव सुनने के लिए उमड़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) के एक प्रवक्ता ने कहा: “महाकुंभ में हर्षा रिछारिया और ‘इंजीनियर बाबा’ जैसी हस्तियां यह दिखाती हैं कि आधुनिक जीवन शैली से जुड़े लोग भी सनातन धर्म की स्थिरता और शांति की ओर आकर्षित हो रहे हैं।”
ग्लैमर वर्ल्ड से अध्यात्म तक का नया ट्रेंड : हर्षा के इस कदम ने कई युवाओं और प्रोफेशनल्स को प्रेरणा दी है। हाल के वर्षों में, ग्लैमर और कॉरपोरेट वर्ल्ड से जुड़े कई लोग अपनी पहचान छोड़कर आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ रहे हैं।
यह प्रवृत्ति न केवल सनातन धर्म की बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जीवन की सच्ची शांति आंतरिक संतुलन में है, न कि बाहरी चकाचौंध में।
Harsha Richhariya की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बाहरी दुनिया की चकाचौंध के बावजूद असली सुख और शांति अध्यात्म में ही है। महाकुंभ 2025 के श्रद्धालुओं के बीच हर्षा एक नई मिसाल बनकर उभरी हैं।
आपकी राय: क्या ग्लैमर की दुनिया छोड़ आध्यात्म की राह अपनाना सही कदम है? हमें अपनी राय कमेंट्स में जरूर बताएं!