नई दिल्ली (New Delhi)15 जनवरी (The News Air): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के “सच्ची स्वतंत्रता” वाले बयान पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर भागवत ऐसे बयान देते रहे तो उनके लिए भारत में घूमना-फिरना मुश्किल हो जाएगा।
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- जब राम मंदिर बना, तब देश को आजादी मिली।
वहीं नरेंद्र मोदी को लगता है कि जब 2014 में वे प्रधानमंत्री बने, तब देश को आजादी मिली।
यह शर्म की बात है।
RSS-BJP के लोगों को आजादी का दिन इसलिए याद नहीं, क्योंकि उन लोगों ने देश की आजादी में कोई योगदान… pic.twitter.com/EVz8P7hhCs
— Congress (@INCIndia) January 15, 2025
भागवत ने हाल ही में कहा था कि अयोध्या (Ayodhya) में रामलला (Ram Lalla) की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि को “प्रतिष्ठा द्वादशी” के रूप में मनाया जाना चाहिए, क्योंकि इसी दिन देश को “सच्ची स्वतंत्रता” मिली थी।
खरगे का बयान: RSS और BJP ने स्वतंत्रता संग्राम में नहीं दिया योगदान : कांग्रेस मुख्यालय के उद्घाटन के मौके पर खरगे ने कहा, “यह शर्म की बात है कि स्वतंत्रता मिलने के बाद भी संघ और भाजपा इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यह लोग आजादी की लड़ाई का हिस्सा नहीं थे, इसलिए उन्हें इसका महत्व समझ में नहीं आता।”
उन्होंने संघ के वैचारिक पूर्वजों पर निशाना साधते हुए कहा, “आरएसएस और भाजपा के लोग न तो कभी आजादी के लिए लड़े, न ही जेल गए। इसलिए उन्हें स्वतंत्रता के लिए दिए गए बलिदानों का अहसास नहीं है।”
राहुल गांधी ने बयान को बताया राजद्रोह : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भी मोहन भागवत के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “भागवत का यह कहना कि देश को सच्ची स्वतंत्रता अब मिली है, राजद्रोह के समान है। उनके कहने का मतलब है कि भारत का संविधान अवैध है और अंग्रेजों के खिलाफ हमारी लड़ाई भी गलत थी। अगर किसी अन्य देश में यह बयान दिया गया होता, तो अब तक उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा चुका होता।”
कांग्रेस का नया मुख्यालय और लोकतंत्र का संदेश : इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन को एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा, “यह मुख्यालय उसी इलाके में बनाया गया है, जहां हमारे नेताओं ने लोकतंत्र और आजादी की नींव रखी थी। यह देश के लिए लोकतंत्र की पाठशाला है।”
RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां कांग्रेस ने इसे राजद्रोह जैसा बताया है, वहीं भाजपा और संघ समर्थकों ने इसे “भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता का प्रतीक” करार दिया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गरमा सकता है, खासकर 2024 के चुनावी माहौल में।