नई दिल्ली (New Delhi)15 जनवरी (The News Air): Apple के को-फाउंडर और दुनिया के सबसे आइकॉनिक CEOs में से एक, स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) का भारत और यहां की आध्यात्मिकता से गहरा नाता था। हाल ही में उनके हाथ से लिखे एक ऐतिहासिक लेटर को 5,12,000 डॉलर (करीब ₹4.32 करोड़) में नीलाम किया गया। इस लेटर में जॉब्स ने अपनी भारत यात्रा और कुंभ मेला (Kumbh Mela) में शामिल होने की योजना का जिक्र किया था।
यह लेटर उन्होंने अपने बचपन के दोस्त टिम ब्राउन (Tim Brown) को 1974 में अपने 19वें जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले लिखा था। इसमें उन्होंने जैन धर्म, हिंदू आध्यात्मिकता, और कुंभ मेले के प्रति अपनी उत्सुकता को साझा किया था।
Steve Jobs की कुंभ यात्रा की योजना: लेटर में जॉब्स ने लिखा था:
“मैं कुंभ मेले के लिए भारत आना चाहता हूं, जो अप्रैल में शुरू होता है। मैं मार्च में कभी जाऊंगा, अभी तक तय नहीं किया है।”
लेटर के अंत में उन्होंने ‘शांति’ लिखा था, जो उनके भीतर के आध्यात्मिक झुकाव को दर्शाता है। यह बात स्पष्ट है कि स्टीव जॉब्स हिंदू दर्शन और भारत की संस्कृति से गहराई तक प्रभावित थे।
नीम करोली बाबा के आश्रम से जुड़ा अनुभव : रिपोर्ट्स के अनुसार, जॉब्स की भारत यात्रा का प्रमुख उद्देश्य उत्तराखंड (Uttarakhand) के नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) के आश्रम जाना था। हालांकि, नैनीताल पहुंचने पर उन्हें पता चला कि बाबा का निधन हो चुका है। इसके बावजूद उन्होंने कैंची धाम (Kainchi Dham) में समय बिताया और बाबा की शिक्षाओं से सांत्वना प्राप्त की।
भारत में बिताए गए सात महीनों में जॉब्स ने गंगा किनारे साधुओं के साथ ध्यान किया और भारतीय संस्कृति का गहराई से अनुभव किया।
भारत से लौटने के बाद Steve Jobs का बदलाव : अमेरिका लौटने पर जॉब्स की पूरी पर्सनालिटी बदल चुकी थी। उनके सिर के बाल मुंडे हुए थे, और उन्होंने भारतीय सूती वस्त्र पहन रखे थे। धूप में लंबे समय बिताने के कारण उनकी त्वचा गहरी हो चुकी थी। उनके माता-पिता ने भी उन्हें पहचानने में कठिनाई महसूस की।
नीलामी का महत्व और Steve Jobs का लेटर क्यों खास है? : Steve Jobs के इस लेटर की नीलामी ने न केवल उनके भारत से जुड़ाव को उजागर किया, बल्कि उनके आध्यात्मिक सफर की कहानी को भी दुनिया के सामने रखा।
यह लेटर उनकी सोच, भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षण, और जीवन में संतुलन और शांति की उनकी खोज को बखूबी दर्शाता है।
स्टीव जॉब्स का भारत और कुंभ मेले से जुड़ाव उनकी सफलता और जीवन के पीछे छिपे आध्यात्मिक पहलुओं को उजागर करता है। यह कहानी न केवल उनके जीवन के अनछुए पहलुओं को दिखाती है, बल्कि भारत की संस्कृति और दर्शन की वैश्विक प्रासंगिकता को भी रेखांकित करती है।