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Home Breaking News

सूरत सिंह खालसा का अमेरिका में निधन: Operation Bluestar के विरोध में छोड़ी थी नौकरी

The News Air by The News Air
बुधवार, 15 जनवरी 2025
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Surat Singh Khalsa Death USA News Update
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लुधियाना, 15 जनवरी (The News Air) लुधियाना (Ludhiana) के पास हसनपुर गांव (Hassanpur Village) के निवासी और सिख अधिकारों के लिए संघर्षरत सूरत सिंह खालसा (Surat Singh Khalsa) का सैन फ्रांसिस्को (San Francisco), अमेरिका में 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। खालसा 2015 में जेल में बंद सिख कैदियों की रिहाई के लिए भूख हड़ताल पर बैठे थे, जो लगभग 8 साल तक चली।

Sikh Activist Bapu Surat Singh Khalsa passes away. He was known for his 8+ year hunger strike demanding the release of Bandi Sikhs, who had been languishing in jails for over 30 years despite completing their sentences! pic.twitter.com/zMKrBLtTO7

— Btown Wire (@btownwire) January 15, 2025

उन्होंने अदालती सजा पूरी कर चुके सिख कैदियों के अलावा अन्य धर्मों के कैदियों की भी रिहाई की मांग की थी। उनका यह कदम मानवाधिकारों के लिए समर्पण और न्याय की उनकी गहरी भावना को दर्शाता है।


भूख हड़ताल: न्याय के लिए सबसे लंबा संघर्ष

  • 16 जनवरी 2015: खालसा ने अपनी भूख हड़ताल शुरू की।
  • उन्होंने कहा कि सभी सिख कैदियों (जिनकी सजा पूरी हो चुकी है) को बिना शर्त रिहा किया जाए।
  • खालसा ने यह भी मांग की कि सभी धर्मों के उन कैदियों को रिहा किया जाए, जिनकी सजा पूरी हो चुकी है।
  • उनकी इस हड़ताल को दुनियाभर से समर्थन मिला और इसे मानवाधिकार संघर्ष का प्रतीक माना गया।

प्रधानमंत्री मोदी को लिखा था पत्र : 11 फरवरी 2015 को, सूरत सिंह खालसा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक खुला पत्र लिखा। इसमें उन्होंने दो मुख्य मांगें रखीं:

  1. सभी सिख कैदियों को राजनीतिक कैदी माना जाए।
  2. जिन कैदियों ने अपनी पूरी सजा पूरी कर ली है, उन्हें बिना शर्त रिहा किया जाए।

यह पत्र सिख समुदाय और मानवाधिकार संगठनों के बीच एक प्रमुख चर्चा का विषय बना।


कौन थे सूरत सिंह खालसा?

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बुधवार, 10 दिसम्बर 2025
  • जन्म: 7 मार्च 1933
  • निवास: हसनपुर गांव, लुधियाना (Hassanpur, Ludhiana)
  • पेशा: पूर्व सरकारी शिक्षक (Government Teacher)
  • जून 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार (Operation Bluestar) के विरोध में सरकारी नौकरी छोड़ दी।
  • 1988 में अपने बच्चों के साथ अमेरिका (USA) चले गए।
  • उनके पांच बेटे और एक बेटी हैं, सभी अमेरिकी नागरिक हैं।

खालसा की विरासत और संघर्ष : सूरत सिंह खालसा ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के लिए समर्पित किया। उनका संघर्ष और भूख हड़ताल सिख समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

  • खालसा ने न केवल सिख कैदियों के लिए बल्कि अन्य धर्मों के कैदियों की भी रिहाई की मांग की।
  • उनकी बेटी और बेटे अमेरिका से नियमित रूप से उनसे मिलने आते थे।

सूरत सिंह खालसा का जीवन सिख अधिकारों और मानवता के लिए संघर्ष का प्रतीक है। उनकी भूख हड़ताल ने दुनिया को यह सिखाया कि सच्चे संघर्ष और न्याय की आवाज कभी दबाई नहीं जा सकती। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।

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