नई दिल्ली, 11 जनवरी (The News Air)– दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कस्तूरबा नगर के कोटला मुबारकपुर वार्ड से दिल्ली महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रियंका अग्रवाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) का दामन थाम लिया है।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रियंका अग्रवाल को पार्टी की टोपी और पटका पहनाकर उनका औपचारिक स्वागत किया। इस मौके पर केजरीवाल ने प्रियंका अग्रवाल को आम आदमी पार्टी परिवार में शामिल होने पर बधाई दी और उनके उज्ज्वल राजनीतिक भविष्य की कामना की।
केजरीवाल का बयान: इस अवसर पर अरविंद केजरीवाल ने कहा “आम आदमी पार्टी पूरी मजबूती के साथ दिल्ली का चुनाव लड़ रही है।” “प्रियंका अग्रवाल के पार्टी में शामिल होने से कस्तूरबा नगर विधानसभा क्षेत्र और पूरी दिल्ली में AAP को और अधिक मजबूती मिलेगी।”
प्रियंका अग्रवाल का AAP में शामिल होना:
- प्रियंका अग्रवाल का आम आदमी पार्टी में शामिल होना कांग्रेस के लिए राजनीतिक झटका माना जा रहा है।
- अग्रवाल ने AAP में शामिल होने के बाद कहा कि वह केजरीवाल सरकार की नीतियों और जनहितकारी योजनाओं से प्रभावित हैं।
- उन्होंने भरोसा जताया कि आम आदमी पार्टी के मंच से वह अपने वार्ड और क्षेत्र की जनता के लिए बेहतर काम कर पाएंगी।
आम आदमी पार्टी का चुनावी अभियान: AAP ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से जनहितकारी योजनाओं और बुनियादी सेवाओं में सुधार को केंद्र में रखा है।
- प्रियंका अग्रवाल जैसी प्रमुख महिला नेता के जुड़ने से पार्टी को महिला वोटरों और कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक को आकर्षित करने में मदद मिल सकती है।
- अरविंद केजरीवाल ने चुनावों में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने और जनसुविधाओं को प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया।
प्रियंका अग्रवाल का AAP में शामिल होना क्यों महत्वपूर्ण?
- प्रियंका अग्रवाल कांग्रेस की वरिष्ठ महिला नेता रही हैं और उनका क्षेत्रीय प्रभाव मजबूत है।
- उनके AAP में शामिल होने से कस्तूरबा नगर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को महत्वपूर्ण बढ़त मिल सकती है।
- यह कदम कांग्रेस के लिए चुनावी चुनौती खड़ी कर सकता है, जबकि AAP को महिला नेतृत्व और स्थानीय स्तर पर मजबूती का फायदा मिलेगा।
प्रियंका अग्रवाल का आम आदमी पार्टी में शामिल होना दिल्ली चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है। यह कदम न केवल AAP के लिए एक रणनीतिक जीत है, बल्कि कांग्रेस के लिए क्षेत्रीय स्तर पर कमजोरी का संकेत भी है।