India Gate का नाम बदलने की मांग: जमाल सिद्दीकी का बड़ा प्रस्ताव

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India Gate name changes

नई दिल्ली (New Delhi), 06 जनवरी (The News Air): भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी (Jamal Siddiqui) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखकर दिल्ली स्थित इंडिया गेट (India Gate) का नाम बदलकर ‘भारत माता द्वार (Bharat Mata Dwar)’ करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह बदलाव भारत की सांस्कृतिक विरासत और शहीदों के प्रति सम्मान को दर्शाएगा।

जमाल सिद्दीकी का तर्क: शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि : सिद्दीकी ने अपने पत्र में लिखा है कि इंडिया गेट पर हजारों शहीदों के नाम दर्ज हैं। इसे ‘भारत माता द्वार’ नाम देने से यह भारतीय वीरता और बलिदान का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि यह कदम भारतीय संस्कृति और राष्ट्रप्रेम को बढ़ावा देगा।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए उल्लेख किया कि उनके कार्यकाल में राजपथ (Rajpath) का नाम बदलकर कर्तव्य पथ (Kartavya Path) किया गया। इसके अलावा, भारत की ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने और औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाने के कई प्रयास किए गए हैं।

गणतंत्र दिवस पर नई शुरुआत की अपील : सिद्दीकी ने कहा कि गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड ‘भारत माता द्वार’ नाम की महत्ता को और अधिक बढ़ाएगी। यह नाम भारतीय राष्ट्रीयता और शहीदों के प्रति सम्मान को व्यक्त करेगा।

भारतीय संस्कृति और पीएम मोदी का योगदान: पत्र में सिद्दीकी ने कहा कि पीएम मोदी का नेतृत्व भारतीय संस्कृति और विरासत को फिर से स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के ऐतिहासिक स्थलों का भारतीयकरण न केवल देश की पहचान को मजबूत करेगा बल्कि युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम भी करेगा।

नाम बदलने के पीछे का उद्देश्य : –

  1. शहीदों के बलिदान को सम्मान देना।
  2. भारतीय संस्कृति और इतिहास को उभारना।
  3. औपनिवेशिक काल की धरोहरों को नई पहचान देना।

क्या होगा नाम बदलने का प्रभाव? : अगर इंडिया गेट का नाम ‘भारत माता द्वार’ किया जाता है, तो यह भारतीय इतिहास और संस्कृति में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।

  • इससे शहीदों को और अधिक मान्यता मिलेगी।
  • भारतीय युवाओं में देशभक्ति की भावना को बढ़ावा मिलेगा।
  • ऐतिहासिक धरोहरों का भारतीयकरण होगा।

जमाल सिद्दीकी का यह प्रस्ताव भारत की सांस्कृतिक धरोहर और शहीदों के सम्मान के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है। हालांकि, नाम बदलने के इस फैसले पर कई अलग-अलग राय आ सकती हैं। अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री मोदी इस अपील पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

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