नई दिल्ली (New Delhi), 06 जनवरी (The News Air) केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह (Rajeev Ranjan Singh) ने आज सिक्किम के सोरेंग जिले (Soreng District) में भारत के पहले जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर का उद्घाटन किया। यह क्लस्टर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य राज्य में मत्स्य पालन और जलीय कृषि (Aquaculture) के क्षेत्र में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है।
इस परियोजना के तहत, सिक्किम में जैविक मछलियों का उत्पादन किया जाएगा, जो बिना किसी रसायन, कीटनाशकों और एंटीबायोटिक्स के होंगे। इससे न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि वैश्विक बाजार में इन मछलियों की मांग भी बढ़ेगी, खासकर उन देशों में जहां पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर: एक सतत विकास की दिशा में कदम : यह क्लस्टर हानिकारक रसायनों से मुक्त मछली पालन पर केंद्रित होगा, जो पारिस्थितिकीय दृष्टि से स्वस्थ होगा। इस पहल के तहत, सिक्किम राज्य में पहले से मौजूद जैविक कृषि के ढांचे को विस्तार देते हुए जैविक मत्स्य पालन को एक प्रमुख उद्योग बनाया जाएगा। यह पहल राज्य के कृषि और जलीय कृषि क्षेत्रों को मजबूत करेगी और राज्य को जैविक मछली उत्पादों के निर्यात का एक प्रमुख केंद्र बना सकती है।
नाबार्ड (NABARD) की भूमिका : इस पहल में नाबार्ड की अहम भूमिका है, जो मत्स्य पालन के इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। साथ ही, मछुआरों की सहकारी समितियों (Cooperatives) और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के गठन के जरिए इस क्लस्टर को सशक्त बनाया जाएगा। नाबार्ड, निजी निवेश को भी प्रोत्साहित करेगा, जिससे सिक्किम में ठंडे पानी के मत्स्य पालन (Cold-water Fishery) को ब्रांडिंग किया जा सकेगा। इससे न केवल राज्य के मछुआरों को लाभ होगा, बल्कि पर्यटन और मूल्य श्रृंखला को भी बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत, सरकार ने देशभर में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं की शुरुआत की है। इन परियोजनाओं से मछुआरों और मछली उत्पादकों को प्रशिक्षण, सहायता, और वित्तीय मदद मिलेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। इस योजना का उद्देश्य देश में नीली क्रांति (Blue Revolution) लाना है, जिससे मछली उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल हो सके।
पूर्वोत्तर क्षेत्र (North East Region) में महत्व : पूर्वोत्तर भारत (North East India) का मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है, और यहां की जलवायु और संसाधन इसे एक आदर्श क्षेत्र बनाते हैं। सिक्किम में जैविक मत्स्य पालन का प्रारंभ पूरे क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव डालेगा और यहां के मछुआरों को बेहतर अवसर प्रदान करेगा।
सरकारी योजनाओं से मिलेगा बल : सरकार ने नीली क्रांति योजना (Blue Revolution Scheme) और मत्स्य पालन और जलीय कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कोष (FIDF) जैसी प्रमुख योजनाओं के जरिए मछली पालन के क्षेत्र में 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस निवेश का उद्देश्य क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना और मछुआरों को वैश्विक बाजारों से जोड़ना है।
इस पहल के जरिए न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि भारत को मछली पालन के क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर प्रमुख स्थान भी मिलेगा।
सिक्किम में जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल राज्य के विकास में योगदान करेगा, बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इस पहल से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि किसानों और मछुआरों की आय में भी बढ़ोतरी होगी, जो देश की कृषि अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
क्र.सं. | परियोजना | इकाइयां |
1 | हैचरी की स्थापना | 12 |
2 | बर्फ संयंत्र/शीत भंडारण | 2 |
3 | जलाशय का एकीकृत विकास | 1 |
4 | मनोरंजक मत्स्य पालन को बढ़ावा | 1 |
5 | मध्यम स्तर की सजावटी मछली पालन इकाई की स्थापना | 4 |
6 | छोटे आरएएस की स्थापना | 12 |
7 | मछलीघर और सजावटी मछली सहित मछली कियोस्क का निर्माण | 10 |
8 | बायोफ्लोक | 2 |
9 | फीड संयंत्र | 1 |
10 | मिनी मछली फीड मिल | 1 |
11 | प्रजनन इकाई की स्थापना | 3 |
12 | एकीकृत एक्वापार्क | 1 |
50 |