भारतीय शेयर बाजार इस समय गंभीर संकट से गुजर रहा है। बीते 5 कारोबारी सत्रों में भारतीय बाजार में भारी गिरावट आई है, जिससे निवेशकों को 17 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। शुक्रवार को भी बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी रहा, जो पिछले दो वर्षों की सबसे बड़ी वीकली गिरावट साबित हुई है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले का असर : इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती है। इस फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट आई, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयरों की बिकवाली ने भी बाजार को और नीचे धकेल दिया।
भारतीय शेयर बाजार में क्या हुआ?: आज की बात करें तो, Sensex में 1.49% की गिरावट आई, जिससे Sensex 1176 अंक गिरकर 78,041.33 पर बंद हुआ। वहीं, Nifty भी 1.34% गिरकर 23,631.25 अंक पर बंद हुआ। पिछले दिन, यानी गुरुवार को भी Sensex में 964 अंकों की गिरावट देखी गई, जबकि Nifty में 247 अंकों की गिरावट आई थी।
गिरावट के प्रमुख कारण
– अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ा, जिससे भारतीय बाजार भी प्रभावित हुआ।
– फेड द्वारा अगले साल ब्याज दरों में कटौती के अनुमान से बाजार की धारणा प्रभावित हुई।
– विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) की बिकवाली ने बाजार को और प्रभावित किया है। पिछले चार सत्रों में एफआईआई ने ₹12,000 करोड़ से अधिक के भारतीय शेयर बेचे हैं।
सेंसेक्स के प्रमुख लूजर शेयर
आज Sensex के 30 शेयरों में से अधिकांश में गिरावट रही। ICICI Bank, ITC, Asian Paints, Maruti, HCL Tech, Sun Pharma, Hindustan Unilever और Kotak Mahindra प्रमुख लूजर रहे।
सेंसेक्स में कुछ शेयरों में तेजी
हालांकि, इस गिरावट के बीच कुछ शेयरों में हल्की तेजी भी देखने को मिली। Nestle India Ltd में 0.12% और Titan में 0.07% की बढ़त देखी गई।
विदेशी निवेशकों का असर : विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) के लिए भारतीय बाजार में बिकवाली का सिलसिला जारी है, जिससे बाजार की धारणा कमजोर हो रही है। डॉलर की मजबूती और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण एफआईआई ने भारतीय शेयरों में भारी बिकवाली की है।
भारतीय शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों की बिकवाली और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के निर्णय का गहरा असर देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में बाजार की स्थिति और खराब हो सकती है, अगर विदेशी पूंजी की निकासी इसी रफ्तार से जारी रही।