नई दिल्ली, 12 दिसंबर (The News Air) केंद्र सरकार द्वारा वन नेशन, वन इलेक्शन को मंजूरी देने का आम आदमी पार्टी ने सख्त विरोध किया है। “आप” के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि देश को वन नेशन, वन एजुकेशन और वन नेशन, वन हेल्थकेयर सिस्टम की जरूरत है, ना कि वन नेशन, वन इलेक्शन की। वन नेशन, वन इलेक्शन भाजपा की गलत प्राथमिकता है। वहीं, वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का नारा केवल वन नेशन, वन अडानी है । मोदी जी सिर्फ़ एक दोस्त को भारत की संपत्ति बेचना चाहते हैं और वह उसके लिए ही काम कर रहे हैं।
संजय सिंह ने कहा कि मोदी सरकार में एक ही नारा है, ‘वन नेशन, वन अडानी।’ उनको देश की संपत्तियों को बेचने के लिए एक अपना दोस्त चाहिए और इसके लिए वह काम कर रहे हैं। जहां तक ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का सवाल है, इसमें मुझे यह समझ में नहीं आता कि अगर पांच साल के लिए एक निर्वाचित सरकार है और वह सरकार बीच में अल्पमत में आ गई, तो आप क्या करेंगे? क्या वहां दोबारा मध्यावधि चुनाव नहीं होंगे?
संजय सिंह ने कहा कि मान लिया जाए कि अगर इन्होंने एक बार पूरे देश में एक साथ चुनाव करा दिया, तो महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में अभी सरकार बनी है। अभी पंजाब और उत्तर प्रदेश का कार्यकाल बाकी है। आप पूरे देश का एक साथ चुनाव कैसे करा देंगे? जिन सरकारों के कार्यकाल बाकी हैं, उनका चुनाव कैसे करा देंगे? और सबसे बड़ा सवाल मेरा यह है कि यह बहानेबाजी है कि सरकार कह रही है कि एक साथ चुनाव कराने से खर्चे कम आएंगे। क्या एक साथ चुनाव कराने से वोटर्स की संख्या कम हो जाएगी? क्या ईवीएम की संख्या कम हो जाएगी? एक साथ चुनाव कराने में भी उतने ही वोटर्स हिस्सा लेंगे, जितने अलग-अलग समय पर चुनाव में हिस्सा लेंगे। इसमें खर्चे का सवाल कहां से आ गया? फिर ये आचार संहिता की बात करते हैं। मान लिया जाए कि अगर राज्य का चुनाव है, तो ऐसे में उतने ही समय के लिए आचार संहिता लगती है, जैसे देश भर में होने वाले चुनाव के समय लगती है।