नई दिल्ली, 21 नवंबर (The News Air): एकादशी का व्रत माह में दो बार रखा जाता है. लेकिन मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस दिन माता एकादशी की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए इस दिन का खास महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर को किया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने के साथ दान पुण्य करने से में व्यक्ति को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है. जिससे व्यक्ति को कभी भी धन की कमी नहीं होती है.
उत्पन्ना एकादशी पूजा सामग्री (Utpanna Ekadashi Puja Samagri)
उत्पन्ना एकादशी की पूजा करने के लिए भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति, फूल, नारियल, सुपारी, फल, मिठाई, लौंग, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, धूप, दीप, घी और पंचमृत.
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि (Utpanna Ekadashi Puja Vidhi)
उत्पन्ना एकादशी का व्रत का पूजन करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें. उसके बाद उत्पन्ना एकादशी व्रत का संकल्प लें. फिर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें. फिर भगवान विष्णु को पीले फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, चंदन और तुलसी दल अर्पित करें. उसके बाद विष्णु जी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी से तैयार पंचामृत अर्पित करें. विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय है इसलिए पंचामृत में तुलसी जरूर डालें. उसके बाद उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. फिर अंत में आरती करके भोग लगाएं और सब में बांटे.
इन मंत्रों का करें जाप
विष्णु मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
भगवते वासुदेवाय मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
श्री विष्णु मंत्र
मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
उत्पन्ना एकादशी महत्व (Utpanna Ekadashi Importance)
उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन दान पु्ण्य बहुत शुभ होता है. जिसका व्यक्ति को कई गुना फल मिलता है.