नई दिल्ली, 20 जुलाई (The News Air): दिल्ली एमसीडी को केंद्रीय बजट में उसके हक़ का हिस्सा मिले इस बाबत शनिवार को वित्त मंत्री आतिशी और मेयर शैली ओबरॉय ने प्रेस-कॉन्फ़्रेंस के ज़रिए केंद्र सरकार से इस बजट में ₹10,000 करोड़ की माँग की। वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, बाक़ी राज्यों की तरह केंद्रीय बजट से इस बार दिल्ली एमसीडी को भी उसके हक़ का पैसा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि, दिल्ली के लोग सालाना 2.07 लाख करोड़ रुपये इनकम टैक्स देते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार इस साल इसका मात्र 5% ₹10,000 एमसीडी को दिल्ली को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए आवंटित करें।
बता दें कि, 10,000 करोड़ रुपये की मांग में 5000 करोड़ साफ-सफाई के लिए, 3000 करोड़ सड़कों के लिए, 2000 करोड़ पार्कों और शहर के सौंदर्यीकरण के लिए माँगा गया है।
वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, दिल्ली देश का एकमात्र ऐसा जहां न तो राज्य सरकार को और न ही म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को केंद्र सरकार से पैसे मिलते है। जबकि केंद्र सरकार से लोकल बॉडीज़ के लिए यूपी को 13,432 करोड़, महाराष्ट्र को 7,115 करोड़ रुपये मिले है। केंद्र सरकार 2.07 लाख करोड़ इनकम टैक्स देने वाले दिल्लीवालों के साथ ये नाइंसाफी क्यों कर रही है?
उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार मुंबई, भोपाल, पटना समेत तमाम शहरों की साफ़-सफ़ाई के लिए पैसा दे सकती हैं तो दिल्ली नगर निगम के लिए पैसा क्यों नहीं देती है? इस बजट में दिल्लीवाले भीख नहीं केंद्र सरकार से अपना हक़ माँग रहे है। ऐसे में इस साल बजट में केंद्र दिल्लीवालों के इनकम टैक्स का मात्र 5% हिस्सा इंफ्रास्ट्रक्चर और 5% एमसीडी के लिए आवंटित करें।
मेयर शैली ओबरॉय ने कहा कि, जब दिल्ली के लोग ईमानदारी से टैक्स देते हैं तो शहर की तरक़्क़ी के लिए उन्हें अपने हक़ का पैसा मिलना चाहिए, इस बजट में एमसीडी को पैसा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि, केजरीवाल सरकार ने अपने बजट से एमसीडी को 6060 करोड़ रुपये आवंटित कर अपनी ज़िम्मेदारी निभाई है। अब केंद्र सरकार एमसीडी को उसके हक़ का पैसा देकर अपनी ज़िम्मेदारी निभाए।
वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, 23 जुलाई को इस साल का केंद्रीय बजट आने वाला है। उन्होंने कहा कि, केंद्र के बजट में दिल्लीवालों का, दिल्ली सरकार का, दिल्ली की एमसीडी का क्या हक़ होना चाहिए ये दिल्ली वाले जानना चाहते है। दिल्ली के लोगों ने इनकम टैक्स के रूप में केंद्र सरकार को पिछले साल 2.07 लाख करोड़ रुपये दिए, साथ ही 25,000 करोड़ का जीएसटी भी दिया। इनकम टैक्स कि आँकड़े देखे तो दिल्ली के लोग देश में सर्वाधिक इनकम टैक्स देने वालों में शामिल है।
उन्होंने कहा कि, दिल्ली के लोगों ने कुल मिलाकर पिछले साल केंद्र सरकार को 2.32 लाख करोड़ रुपये का टैक्स केंद्र सरकार को दिया। केंद्र सरकार को बाक़ी राज्यों से भी टैक्स मिलता है। इस टैक्स का एक हिस्सा केंद्र सरकार अपने पॉलिसियों पर, कुछ हिस्सा अलग-अलग राज्य सरकारों को टैक्स शेयर के रूप में तो कुछ हिस्सा अर्बन लोकल बॉडीज के लिए देती है। ये पैसे देश में हर राज्यों को मिलते है।
लेकिन पूरे देश में दिल्ली एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसके केंद्र सरकार से अपने टैक्स के हिस्से के रूप में एक पैसा नहीं मिलता है। न तो दिल्ली सरकार को टैक्स शेयर मिलता है और न ही दिल्ली की म्युनिसिपल कारपोरेशन को आजतक केंद्र सरकार से एक रुपया मिला है।
वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, “मैं भाजपा शासित केंद्र सरकार से ये पूछना चाहती हूँ कि, दिल्लीवालों ने ऐसा क्या गुनाह किया है। दिल्ली के लोग मेहनत करते है, ईमानदारी से इनकम टैक्स भरते है और देश के विकास में अपना योगदान देते है। फिर भी दिल्लीवालों को अपने शहर के लिए, दिल्ली के विकास के लिए केंद्र सरकार से एक पैसा नहीं मिलता है।”
उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार से लोकल बॉडीज के लिये उत्तर प्रदेश को सालाना 13,432 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 7115 करोड़ रुपये, बिहार को 6079 करोड़ रुपये मिलते है। लेकिन दिल्ली के लोग जो 2.07 लाख करोड़ करोड़ रुपये इनकम टैक्स देते हैं, उन्हें अपने म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के लिए 1 रुपये नहीं मिलते है।
वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, “मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहती हूँ कि, वो मुंबई की साफ़ सफ़ाई के लिए पैसे दे सकती है, पटना की साफ़-सफ़ाई के लिए पैसा दे सकती है, भोपाल की साफ़ सफ़ाई के लिए पैसा दे सकती है तो दिल्ली की साफ़ सफ़ाई के लिए पैसा क्यों नहीं दे सकती। दिल्ली के लोग भीख नहीं अपने हक़ का पैसा माँग रहे है। वो 2.07 लाख करोड़ रुपये इनकम टैक्स देते है।”
उन्होंने कहा कि, “इस बार केंद्र के बजट से हम दिल्ली के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के लिये हम 10,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन माँग रहे है। इस बाबत मेयर शैली ओबरॉय ने देश की वित्त मंत्री को पत्र भी लिखा है। दिल्ली के लोग जितना इनकम टैक्स देते हैं, ये उसका मात्र 5% है। दिल्ली के लोगों का अपने शहर की साफ़-सफ़ाई, उसके सौंदर्यीकरण और विकास के लिए इन पैसों पर हक़ बनता है।”
उन्होंने कहा कि, इन 10,000 करोड़ रुपये में 5000 करोड़ रुपये साफ़-सफ़ाई के लिए, 3,000 करोड़ रुपये म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की सड़कों को बेहतर बनाने के लिए और 2,000 करोड़ रुपये पार्कों के रखरखाव और शहर के सौंदर्यीकरण के लिए माँगे है।
वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि, दिल्ली के लोगों के टैक्स का एक हिस्सा दिल्ली सरकार के पास आता है। दिल्ली के लोग दिल्ली सरकार को ₹40,000 करोड़ का टैक्स देते है। दिल्ली सरकार ने इन पैसों का इस्तेमाल दिल्ली को 24×7 बिजली देने में, फ्री बिजली-पानी देने, अनाधिकृत कालोनियों में पानी का नेटवर्क डालने में, दिल्ली के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में, लोगों की बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ देने में, फ़्लाइओवर-रोड बनवाने, ट्रांसपोर्ट बेहतर बनाने में करती है।साथ ही सरकार ने 5000 करोड़ रुपये से ज़्यादा एमसीडी को भी दिए है।
लेकिन दूसरी तरफ़ दिल्ली के लोग केंद्र सरकार को 2.32 लाख करोड़ रुपये टैक्स देते हैं लेकिन उसमें से दिल्ली के लोगों को एक पैसा नहीं मिलता है। ये दिल्ली के लोगों का शोषण है। इसलिए मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि, दिल्ली के लोग 2.32 लाख करोड़ रुपये टैक्स देते हैं। इसमें से इस साल 5% हिस्सा दिल्ली सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए और 5% हिस्सा एमसीडी को शहर की साफ़-सफ़ाई, सड़कों और सौंदर्यीकरण के लिए केंद्रीय बजट में आवंटित करें।
मेयर शैली ओबरॉय ने कहा कि, केंद्र सरकार सभी राज्यों और उनके म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के लिए बजट से पैसा देती है लेकिन दिल्ली को ये पैसा नहीं मिलता है। इसे लेकर मैंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन जी को पत्र लिखा है कि, दिल्ली के लोग टैक्स देते हैं ऐसे में उन्हें अपने हक़ का पैसा मिलना चाहिए, MCD को पैसा मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि, हमें दिल्ली सरकार से एमसीडी को 2023-24 में 5500 करोड़ रुपये का ग्रांट मिला। इस साल ये बढ़कर 6060 करोड़ रुपये हो गये। इन पैसों का इस्तेमाल शिक्षा के लिए, शहर की साफ़-सफ़ाई के लिए, कर्मचारियों का वेतन देने के लिए किया जाता है। दिल्ली सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई है और अब केंद्र सरकार अपनी ज़िम्मेदारी निभाये और दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को इस बजट में ₹10,000 करोड़ रुपये का आवंटन दे। ये दिल्ली के लोगों द्वारा दिए जाने वाले इनकम टैक्स का मात्र 5% है। ये पैसा दिल्ली के लोगों का हक़ है।