BSE Share Price: बीएसई के शेयर इस साल 7 फीसदी से अधिक मजबूत हुए थे लेकिन आज यह ढहते मार्केट में खुद को संभाल नहीं सका और 2 फीसदी से अधिक टूट गया। ब्रोकरेज फर्म इनवेस्टेक ने इसके शेयरों की खरीदारी की रेटिंग में कोई बदलाव तो नहीं किया है लेकिन इसका मानना है कि बीएसई के सामने जो रेगुलेटरी रिस्क हैं, वह उसके अनुमान से काफी गंभीर हैं। इसके चलते ब्रोकरेज ने इस पर अपने अल्ट्रा-बुलिश ‘लॉन्ग फास्ट’ कॉल को बंद कर दिया। इनवेस्टेक ने इस साल 24 मई को ‘लॉन्ग फास्ट’ के साथ इसकी कवरेज शुरू की थी।
अब क्या है BSE पर ब्रोकरेज का रुझान?
इनवेस्टेक ने 3400 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ इसकी खरीदारी की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि ब्रोकरेज के नोट के मुताबिक एक्सचेंज पर बढ़ते वॉल्यूम के फायदे को रेगुलेटरी रिस्क फीका कर सकता है। मनीकंट्रोल ने मंगलवार को जानकारी दी थी कि F&O पर सेबी की तरफ से गठित वर्किंग कमेटी ने सिफारिश की है कि डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स का मिनिमम लॉट साइज मौजूदा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 20-30 लाख रुपये कर दिया जाए। इसके अलावा हर दिन एक्सपायरी की बजाय एक एक्सचेंज पर एक ही दिन एक्सपायरी का नियम बनाया जाए। साथ ही स्ट्राइक प्राइस की संख्या भी कम की जाए ताकि वॉल्यूम में बढ़ोतरी को थामा जाए।
इनवेस्टेक का मानना है कि अगर इन सिफारिशों को मान लिया जाता है तो इसका BSE के शेयरों पर असर दिखेगा। इसके शेयरों पर ट्रांजैक्शन चार्जेज को लेकर सेबी के नए सर्कुलर का भी असर दिखा था जिसमें सेबी ने कहा था कि एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन जैसे मॉर्केट इंफ्रा इंस्टीट्यूशंस को टर्नओवर के हिसाब से डिस्काउंट नहीं देना चाहिए।
एक साल में कैसी रही शेयरों की चाल
बीएसई के शेयर फिलहाल NSE पर 1.91 फीसदी की गिरावट के साथ 2,291.95 रुपये के भाव पर है। इंट्रा-डे में यह 2.34 फीसदी फिसलकर 2,282.00 रुपये के भाव तक आ गया था। एक साल में शेयरों के चाल की बात करें तो पिछले साल 10 जुलाई 2023 को यह एक साल के निचले स्तर 692.20 रुपये पर था। इस लेवल से 9 महीने में यह 372 फीसदी उछलकर 24 अप्रैल 2024 को 3,264.70 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। इस हाई लेवल से यह करीब 30 फीसदी डाउनसाइड है।
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