डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो लंबे समय तक बैठने वाले व्यक्तियों को प्रभावित कर सकती है। यह बीमारी तब होती है जब शरीर की नसों में खून का थक्का बन जाता है। शुरूआती चरण में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते, लेकिन समय के साथ यह खतरनाक साबित हो सकती है। आइए इस स्थिति के बारे में विस्तार से समझें।
लंबे समय तक बैठने के स्वास्थ्य प्रभाव
कई घंटों तक एक ही स्थान पर बैठकर काम करने से विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें सबसे प्रमुख हैं हृदय रोग और मोटापा। लंबे समय तक बैठने से कैलोरी बर्न नहीं होती, जिससे वजन बढ़ सकता है। बढ़ते वजन के कारण डायबिटीज, हृदय रोग और आर्थराइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है। डीवीटी तब होती है जब नसों में खून का थक्का बन जाता है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
डीवीटी के प्रभाव
डीवीटी आमतौर पर निचले पैर और जांघ की बड़ी नसों को प्रभावित करती है। यह अचानक हो सकती है और आपातकालीन स्थिति पैदा कर सकती है। डीवीटी के कारण ब्लड प्रेशर में अचानक बदलाव हो सकता है, जो हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। यह खून की सप्लाई और प्रवाह को प्रभावित कर सकता है, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है।
डीवीटी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण खराब जीवनशैली है। चाहे घर हो या ऑफिस, लोग घंटों बैठकर काम करते हैं। स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के कारण भी लोग लंबे समय तक बैठे रहते हैं। डॉ. भट्ट का मानना है कि मोटापे से ग्रस्त लोग, जिन्होंने हाल ही में सर्जरी कराई है, उन्हें लंबे समय तक लगातार नहीं बैठना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों में डीवीटी का जोखिम काफी बढ़ जाता है। उन्हें हर घंटे कुछ समय के लिए उठकर चलना चाहिए और मांसपेशियों को स्ट्रेच करना चाहिए।
बचाव के उपाय
डीवीटी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए लोगों को हर घंटे कम से कम 5-10 मिनट के लिए उठना चाहिए और मांसपेशियों को स्ट्रेच करना चाहिए। यह हृदय रोग और अन्य समस्याओं के जोखिम को कम कर सकता है। इसके अतिरिक्त, स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम भी महत्वपूर्ण हैं।
लंबे समय तक बैठने और शारीरिक गतिविधियों की कमी यानी कम मूवमेंट से शुरु होने वाले खतरों को कम करने में डाबर च्यवनप्राश सहायक हो सकता है। यह एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक फॉर्मूला है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करता है, जिससे हृदय रोग, मोटापा और डीवीटी जैसी समस्याओं से बचाव होता है। डाबर च्यवनप्राश के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और शारीरिक थकान कम होती है, जिससे लोग अधिक सक्रिय रह सकते हैं और फिजिकल एक्टिविटी में भी इजाफा हो सकता है। इसके साथ ही, यह खून के प्रवाह को बेहतर बनाने में भी मदद करता है, जो डीवीटी के खतरे को कम कर सकता है।
डाबर च्यवनप्राश का सेवन स्वस्थ जीवनशैली के साथ मिलकर किया जाए तो यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और डाबर च्यवनप्राश का उपयोग एक समग्र स्वास्थ्य योजना के हिस्से के रूप में अपनाया जा सकता है, जो लंबे समय तक बैठने के हानिकारक प्रभावों से बचाव करने में सहायक है।






