जिनेवा । संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा , “हर सेकंड, लगभग चार फुटबॉल मैदानों के बराबर स्वस्थ भूमि का क्षरण होता है। अरबों लोगों की सुरक्षा, समृद्धि और स्वास्थ्य, जीवन, आजीविका और पारिस्थितिकी तंत्र को सहारा देने वाली समृद्ध भूमि पर निर्भर है, लेकिन हम उस पृथ्वी को नष्ट कर रहे हैं जो हमें जीवित रखती है।”
सूखा वर्तमान में सबसे गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक
उन्होंने कहा है कि मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखा वर्तमान में सबसे गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों में से हैं। इसलिए हम सभी को भूमि के लिए एकजुटता प्रदर्शित करनी चाहिए । एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि स्वस्थ भूमि हमें न केवल दुनिया भर में खाए जाने वाले लगभग 95 प्रतिशत भोजन उपलब्ध कराती है, बल्कि इससे भी कहीं ज़्यादा देती है। यह लोगों को कपड़े और आश्रय प्रदान करती है, नौकरी और आजीविका प्रदान करती है और समुदायों को बिगड़ते सूखे, बाढ़ और जंगली आग से बचाती है।
विश्व दिवस के फोकस पर हमें ‘भूमि के लिए एकजुट’ होना
उन्होंने कहा, “इस वर्ष के विश्व दिवस का फोकस हमें याद दिलाता है कि हमें ‘भूमि के लिए एकजुट’ होना चाहिए।” “सरकारों, व्यवसायों, शिक्षाविदों, समुदायों और अन्य को एक साथ आकर कार्य करना चाहिए।” बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ असंतुलित उत्पादन और उपभोग पैटर्न प्राकृतिक संसाधनों की मांग को बढ़ा रहे हैं, जिससे भूमि पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है और भूमि क्षरण की स्थिति में पहुंच रही है। साथ ही, मरुस्थलीकरण और सूखे के कारण मजबूरन पलायन हो रहा है, जिससे हर साल लाखों लोगों के सामने विस्थापन का खतरा पैदा हो रहा है।
दुनिया को कार्यान्वयन की गति को नाटकीय रूप से बढ़ावा
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, “हम जानते हैं कि हमें क्या करना है।” “यह मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) में स्पष्ट रूप से निर्धारित है। जैसा कि हम सम्मेलन की तीसवीं वर्षगांठ मना रहे हैं, दुनिया को कार्यान्वयन की गति को नाटकीय रूप से बढ़ाना चाहिए।” ऐसा करने के लिए, उन्होंने रियाद में आयोजित होने वाले यूएनसीसीडी सम्मेलन (सीओपी16) की दिशा में गति बनाने तथा यह सुनिश्चित करने की ओर इशारा किया कि वार्ता में युवाओं की बात सुनी जाए।
प्रकृति और मानवता के समृद्ध भविष्य के लिए बीज बोएं
उन्होंने कहा, “आइये हम सब मिलकर प्रकृति और मानवता के समृद्ध भविष्य के लिए बीज बोएं।” आपको बतादें कि दुनिया के आठ अरब निवासियों में से, 25 वर्ष से कम आयु के एक अरब से अधिक युवा विकासशील देशों में रहते हैं, विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जो जीविका के लिए सीधे भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं। ग्रामीण आबादी के लिए रोजगार की संभावनाएं बनाना एक व्यवहार्य समाधान है जो युवाओं को पर्यावरण-उद्यमिता के अवसरों तक पहुंच प्रदान करता है और साथ ही साथ सर्वोत्तम प्रथाओं को आगे बढ़ाता है।