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14 दिन की न्यायिक हिरासत: जालंधर सेंट्रल से ‘आप’ विधायक रमन अरोड़ा को जबरन वसूली मामले में 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया है।
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पुलिस रिमांड खत्म: अरोड़ा पहले ही 9 दिन पुलिस रिमांड पर रह चुके हैं; पुलिस ने आगे रिमांड की मांग नहीं की।
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गंभीर आरोप: विधायक पर अपने सहयोगियों के जरिए कारोबारियों और ठेकेदारों से मोटी रकम वसूलने का आरोप है।
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राजनीतिक हलचल: इस मामले ने पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं और विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है।
MLA in Custody: पंजाब (Punjab) की राजनीति में हलचल मचाने वाले जबरन वसूली के मामले में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के विधायक रमन अरोड़ा (Raman Arora) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 9 दिनों की पुलिस रिमांड के बाद, अब अदालत ने उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
कोर्ट में पेशी और न्यायिक हिरासत: शनिवार को, जालंधर सेंट्रल (Jalandhar Central) से ‘आप’ विधायक रमन अरोड़ा (Raman Arora) को उनके तीन दिन के पुलिस रिमांड की अवधि समाप्त होने पर अदालत में पेश किया गया। रामा मंडी (Rama Mandi) पुलिस थाने में दर्ज रंगदारी (extortion) के इस मामले में पुलिस ने और रिमांड की मांग नहीं की। पुलिस ने अदालत को बताया कि रिमांड के दौरान मामले से जुड़े कई महत्वपूर्ण सबूत इकट्ठे कर लिए गए हैं और अब आगे की जांच अरोड़ा के जेल में रहते हुए भी की जा सकती है।
विधायक रमन अरोड़ा की तरफ से उनके वकील दर्शन सिंह दयाल (Darshan Singh Dayal) और नवीन चड्ढा (Naveen Chadha) ने दलीलें पेश कीं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने विधायक अरोड़ा को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया।
यह मामला पंजाब की राजनीति में इसलिए भी अहम है क्योंकि यह सीधे तौर पर सत्ताधारी दल की छवि से जुड़ा है। रमन अरोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने विधायक होने का फायदा उठाते हुए अपने साथियों के माध्यम से शहर के कारोबारियों और ठेकेदारों पर दबाव बनाया। शिकायतकर्ताओं के अनुसार, उनसे मोटी रकम की वसूली के लिए धमकी दी जाती थी। जब कुछ पीड़ितों ने हिम्मत दिखाकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, तब जाकर यह पूरा मामला सामने आया। पुलिस ने शुरुआती जांच और सबूत जुटाने के बाद ही विधायक को गिरफ्तार करने जैसा बड़ा कदम उठाया, जिससे इस केस की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पहले रिमांड, अब जेल का सफर : यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रमन अरोड़ा को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने से पहले वह कुल 9 दिनों तक पुलिस की हिरासत में रह चुके हैं। पुलिस ने अलग-अलग समय पर अदालत से उनकी रिमांड हासिल की थी ताकि जबरन वसूली के नेटवर्क की गहराई तक पहुंचा जा सके। पुलिस का दावा है कि उनके पास अरोड़ा के खिलाफ पर्याप्त गवाह और दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं, जो आरोपों को साबित करने में मदद करेंगे।
इस गिरफ्तारी ने पंजाब की सियासत में भूचाल ला दिया है। एक तरफ जहाँ विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर ‘आप’ सरकार की जीरो-टॉलरेंस नीति पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के लिए यह एक असहज स्थिति बन गई है। अब देखना यह होगा कि न्यायिक हिरासत के दौरान जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और इस मामले में और कौन से नए खुलासे होते हैं।






