8th Pay Commission News: केंद्रीय कर्मचारियों के मन में आठवें वेतन आयोग को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही गूंज रहा है कि क्या यह 1 जनवरी 2026 से लागू हो पाएगा? वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में स्पष्ट कर दिया है कि आयोग के लागू होने की तारीख तय करने का अधिकार पूरी तरह सरकार के पास है। इस बयान के बाद अब कर्मचारियों के बीच एरियर (बकाया राशि) को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है कि क्या उन्हें पुरानी परंपरा के अनुसार पिछली तारीख से पैसा मिलेगा या सरकार इस बार कोई नया पैटर्न अपना सकती है।
इतिहास क्या कहता है?
अगर हम पिछले वेतन आयोगों के रिकॉर्ड पर नजर डालें, तो कर्मचारियों के लिए राहत की एक उम्मीद दिखाई देती है। पांचवें, छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें अपनी तय समय सीमा से देरी से लागू हुई थीं, लेकिन अच्छी बात यह रही कि कर्मचारियों को एरियर उसी तारीख से दिया गया, जब पिछला वेतन आयोग खत्म हुआ था।
उदाहरण के लिए, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें जून 2016 में लागू हुई थीं, लेकिन कर्मचारियों को इसका फायदा यानी एरियर 1 जनवरी 2016 से ही मिला था। ठीक इसी तरह, छठे वेतन आयोग का एरियर भी 1 जनवरी 2006 से दिया गया था। यही वजह है कि कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि भले ही घोषणा में देरी हो, लेकिन एरियर 1 जनवरी 2026 से ही मिलना चाहिए।
एचआरए (HRA) पर एरियर का पेंच
भले ही इतिहास कर्मचारियों के पक्ष में हो, लेकिन इसमें एक तकनीकी पेंच भी फंसा हुआ है। ‘ऑल इंडिया एनपीएस एंप्लॉय फेडरेशन’ के नेशनल प्रेसिडेंट मनजीत सिंह पटेल ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि तकनीकी रूप से सरकार को एरियर 1 जनवरी 2026 से देना चाहिए, लेकिन अक्सर देखा गया है कि सरकार हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर एरियर नहीं देती है।
इसका सीधा मतलब है कि वेतन आयोग जितनी देरी से लागू होगा, सरकार को एचआरए के मद में उतनी ही ज्यादा बचत होगी। आमतौर पर सैलरी और अन्य भत्तों पर तो एरियर मिल जाता है, लेकिन एचआरए पर नहीं।
सरकार की बचत का गणित
मनजीत सिंह पटेल ने एक उदाहरण के जरिए इस गणित को समझाया है। अगर किसी कर्मचारी की बेसिक पे (मूल वेतन) 76,500 रुपये है, तो देरी होने की स्थिति में सरकार सिर्फ एचआरए पर ही लगभग 18,360 रुपये प्रति महीना बचा सकती है, बशर्ते उसे एरियर में शामिल न किया जाए। यह एक बड़ा आंकड़ा है जो सीधे तौर पर कर्मचारियों की जेब पर असर डालता है।
क्या आर्थिक हालात बदलेंगे फैसला?
वहीं, एक केंद्रीय कर्मचारी संगठन के वरिष्ठ सदस्य ने आशंका जताई है कि वैसे तो आदर्श रूप से एरियर 1 जनवरी 2026 से ही मिलना चाहिए, लेकिन फैसला सरकार के हाथ में है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो विशेष परिस्थितियों में एरियर की शुरुआत आगे की तारीख से भी कर सकती है। अगर देश के आर्थिक हालात कमजोर हुए, तो सरकार एरियर देने की तारीख को आगे भी बढ़ा सकती है।
आम कर्मचारी पर असर
इस खबर का सीधा असर लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की जमा-पूंजी और भविष्य की प्लानिंग पर पड़ेगा। अगर एरियर की तारीख आगे बढ़ती है या एचआरए का लाभ पिछली तारीख से नहीं मिलता है, तो कर्मचारियों को हर महीने हजारों रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जानें पूरा मामला
भारत में आमतौर पर हर 10 साल में एक नया वेतन आयोग गठित किया जाता है, जो केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन ढांचे, भत्तों और पेंशन में बदलाव की सिफारिश करता है। 7वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू माना गया था, इसलिए कायदे से 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होना चाहिए। हालांकि, अभी तक सरकार ने इसके गठन की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, जिससे असमंजस बना हुआ है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
-
सरकार का रुख: वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि 8वें वेतन आयोग के लागू होने की तारीख सरकार तय करेगी।
-
पुराना ट्रेंड: पिछले तीन वेतन आयोगों में देरी के बावजूद एरियर पिछली तारीख (बैक डेट) से मिला है।
-
नुकसान की आशंका: विशेषज्ञों के मुताबिक, सरकार अक्सर HRA पर एरियर नहीं देती, जिससे कर्मचारियों को नुकसान हो सकता है।
-
बचत का गणित: 76,500 रुपये बेसिक पे वाले कर्मचारी का एचआरए एरियर कटने पर सरकार को महीने में करीब 18,360 रुपये की बचत हो सकती है।






