The News Air – (चंडीगढ़) पंजाब में पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर जिस बहुचर्चित 6 हज़ार करोड़ रुपए के सिंथेटिक ड्रग केस में FIR दर्ज़ हुई है, वह केस 2012 में शुरू हुआ। पहली FIR फतेहगढ़ साहिब में दर्ज़ की गई और शुरुआती स्टेज में यह केस भी दूसरे सामान्य मामलों की तरह लगा। इसमें सियासी भूचाल तब मचा जब 2014 में पेशी पर आए केस के मुख्य आरोपी इंटरनेशनल पहलवान और पंजाब पुलिस के बर्खास्त DSP जगदीश भोला ने तत्कालीन रेवेन्यू मिनिस्टर बिक्रम सिंह मजीठिया का नाम ले लिया।
ख़ास बात यह रही कि भोला ने कोर्ट परिसर के बाहर मीडिया के सामने तो मजीठिया का नाम लिया मगर अदालत के अंदर उसका कोई ज़िक्र नहीं किया। ड्रग केस में मजीठिया का नाम आते ही पंजाब की पूरी सियासत हिल गई। पंजाब में तब अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार थी और बादल परिवार से रिश्तेदारी के चलते मजीठिया की गिनती सबसे पावरफुल मिनिस्टर्स में होती थी।
सरकार ने दी क्लीन चिट
मजीठिया का नाम उछलने के बाद उस समय विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। हालांकि तत्कालीन सीएम प्रकाश सिंह बादल और गृह मंत्रालय देख रहे डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने मजीठिया को क्लीन चिट दे दी। ड्रग केस में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू करने वाले एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने मजीठिया से पूछताछ की। इसमें भी उन्हें क्लीन चिट देने की चर्चा रही। यह कभी औपचारिक रूप से किसी ने नहीं कहा।
ऐसे शुरू हुआ केस
साल 2012 में फतेहगढ़ साहिब के तत्कालीन SSP हरदयाल सिंह मान ने ड्रग तस्करी का एक केस दर्ज़ किया। इसमें एक NRI और उसके बाद बॉक्सर राम सिंह पकड़ा गया। राम सिंह ने पंजाब पुलिस के तत्कालीन DSP व इंटरनेशनल पहलवान जगदीश भोला का नाम लिया। भोला की गिरफ़्तारी के बाद पंजाब के तत्कालीन मंत्री स्वर्ण सिंह फिल्लौर का नाम इसमें आया। फिल्लौर को मंत्रिपद छोड़ना पड़ा। जनवरी 2014 में भोला ने मजीठिया का नाम ले लिया।
51 लोग हुए गिरफ़्तार
इस केस के समय सुमेध सिंह सैनी पंजाब के DGP थे। सैनी ने मजीठिया के ख़िलाफ़ यह कहते हुए कार्रवाई करने से इनकार कर दिया कि किसी हार्ड कोर क्रिमिनल के कहने मात्र पर कार्रवाई नहीं की जा सकती। सैनी ने तब दावा किया था कि इस मामले में 51 लोग गिरफ़्तार किए गए जिनसे 71 वाहन, 13 हथियार और भारी मात्रा में सिंथेटिक ड्रग बरामद की गई।
भोला समेत 19 को हो चुकी सज़ा
सिंथेटिक ड्रग तस्करी मामले में फतेहगढ़ साहिब और बनूड़ थाने में सबसे पहले 2 केस दर्ज़ हुए। उसके बाद पंजाब के अलग-अलग ज़िलों में 5 और केस दर्ज़ किए गए। इनमें से 4 मामलों में जगदीश भोला बरी हो गया जबकि 3 अन्य केसों में जगदीश भोला को 10, 12 और 2 साल की सज़ा हुई। भोला के अलावा 18 अन्य लोगों को भी इन केसों में 6 महीने से 15 साल तक की क़ैद हो चुकी है।