Sanchar Saathi App Mandatory करने के सरकार के फैसले ने मोबाइल इंडस्ट्री और यूजर्स के बीच एक नई बहस छेड़ दी है। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) ने एक अहम निर्देश जारी करते हुए सभी स्मार्टफोन निर्माताओं के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे भारत में बनने या आयात होने वाले हर हैंडसेट में ‘संचार साथी ऐप’ को पहले से इंस्टॉल करके दें। इसका सीधा मतलब है कि अब आप चाहे 8 हजार का फोन खरीदें या 80 हजार का, यह सरकारी ऐप आपको उसमें पहले से ही मौजूद मिलेगी।
सरकार के इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य देश में बढ़ते मोबाइल और सिम कार्ड से जुड़े फ्रॉड पर लगाम लगाना है। DoT का कहना है कि इस ऐप के जरिए लोग नकली या गैर-असली हैंडसेट खरीदने से बच सकेंगे और टेलीकॉम संसाधनों का दुरुपयोग कम होगा। साथ ही, आम नागरिकों के लिए मोबाइल से जुड़ी धोखाधड़ी की रिपोर्ट करना और अपने फोन को वेरीफाई करना आसान हो जाएगा।
कंपनियों को मिला 90 दिन का समय
सरकार ने मोबाइल मैन्युफैक्चरर्स को इस नए नियम को लागू करने के लिए 90 दिनों का समय दिया है। यानी आने वाले तीन महीनों के बाद फैक्ट्रियों से निकलने वाले सभी नए स्मार्टफोन्स में यह ऐप इनबिल्ट होगा। कंपनियों को इस निर्देश के कार्यान्वयन पर 120 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट भी सरकार को सौंपनी होगी। निर्देश में यह भी साफ कहा गया है कि फोन के सेटअप के दौरान यह ऐप स्पष्ट रूप से दिखाई देनी चाहिए और इसका कोई भी फंक्शन डिसेबल नहीं होना चाहिए, ताकि यूजर्स इसका पूरा इस्तेमाल कर सकें।
क्या है ‘संचार साथी ऐप’ और इसके फायदे?
‘संचार साथी’ सरकार द्वारा विकसित एक नागरिक-केंद्रित ऐप है, जो पहले से ही गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर पर उपलब्ध है और इसे 1 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। सरकार इसे एक सुरक्षा टूल के रूप में पेश कर रही है, जिसे आईएमईआई क्लोनिंग और अन्य मोबाइल स्कैम से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस ऐप में यूजर्स को पांच प्रमुख सुविधाएं मिलती हैं:
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स्पैम या फ्रॉड कॉल रिपोर्टिंग: संदिग्ध या परेशान करने वाली कॉल्स की रिपोर्ट करना।
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खोए/चोरी हुए फोन को ब्लॉक करना: फोन खोने पर उसे ट्रैक करना और पूरे भारत में ब्लॉक करना, ताकि सिम बदलने पर भी वह काम न करे।
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अपने नाम पर सिम कार्ड चेक करना: यह जानना कि आपके नाम पर कितने सिम एक्टिव हैं और जो आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उन्हें बंद करवाना।
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IMEI वेरिफिकेशन: फोन खरीदने से पहले उसका आईएमईआई नंबर डालकर यह चेक करना कि वह असली है या नकली/डुप्लीकेट।
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अंतरराष्ट्रीय इनकमिंग कॉल रिपोर्टिंग: भारतीय नंबर से आने वाली संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कॉल्स की रिपोर्ट करना।
प्राइवेसी पर बहस और सरकार की सफाई
इस ऐप को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर निजता (Privacy) को लेकर बहस शुरू हो गई है। कई लोगों और राजनीतिक दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं। इस पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई देते हुए कहा है कि यह ऐप किसी तरह की जासूसी नहीं करता। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐप को एक्टिवेट करना या न करना पूरी तरह यूजर की मर्जी पर है। अगर कोई इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहता, तो वह इसे अपने फोन से अनइंस्टॉल (Delete) भी कर सकता है। सरकार का कहना है कि हाल के महीनों में आईएमईआई फ्रॉड और ब्लैक मार्केट में हैंडसेट की समस्याओं को देखते हुए इसे अनिवार्य करना जरूरी था, ताकि टेलीकॉम सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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भारत में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन्स में ‘संचार साथी ऐप’ प्री-इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा।
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मोबाइल निर्माताओं को इस निर्देश को लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।
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यह ऐप खोए हुए फोन को ब्लॉक करने, नकली फोन की पहचान करने और सिम फ्रॉड रोकने में मदद करता है।
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सरकार ने स्पष्ट किया है कि यूजर्स इस ऐप को अनइंस्टॉल कर सकते हैं और यह जासूसी नहीं करता।
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अब तक इस ऐप की मदद से 7 लाख से ज्यादा खोए हुए फोन रिकवर किए गए हैं और 30 लाख से ज्यादा फ्रॉड सिम बंद किए गए हैं।






