Ayodhya Ram Mandir Dhwajarohan अयोध्या की पवित्र भूमि पर वह ऐतिहासिक क्षण आकार ले चुका है जो सदियों की प्रतीक्षा, आस्था और उत्साह का संगम माना जाता है। राम मंदिर का संपूर्ण निर्माण हो चुका है और इसके 161 फीट ऊंचे शिखर पर धर्म ध्वजारोहण की परंपरा को पुनः स्थापित कर दिया गया है। मंदिर के शीर्ष पर केसरिया ध्वज का फहराया जाना सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि वैभव, परंपरा, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भव्य संकेत माना जाता है।
ध्वज की बनावट और उसका आध्यात्मिक महत्व
धर्म ध्वज को सनातन परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रतीक माना गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मंदिर पर फहराया गया यह ध्वज पूरे क्षेत्र को पवित्र बनाता है और जिस दिशा में यह लहराता है, वहां तक देवत्व का आशीर्वाद फैलता है।
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झंडे का आकार: यह केसरिया रंग का ध्वज 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है।
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झंडे की स्थापना: इसे 42 फीट ऊंचे ध्वज दंड पर स्थापित कर 161 फीट ऊंचे मंदिर शिखर तक पहुंचाया गया है।
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सामग्री: ध्वज को पैराशूट ग्रेड वस्त्र से तैयार किया गया है, जो तेज धूप, वर्षा और 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति तक की हवा को सहन कर सकता है।
ध्वज पर अंकित हैं तीन प्रमुख चिन्ह
इस भव्य ध्वज पर तीन प्रमुख चिन्ह अंकित किए गए हैं, जिनका गहरा सांस्कृतिक महत्व है:
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सूर्य: यह प्रतीक रघुवंश की परंपरा को दर्शाता है, क्योंकि श्री राम सूर्यवंशी हैं। सूर्य ऊर्जा, प्रकाश, मार्गदर्शन और विजय का प्रतिनिधित्व करता है।
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ओम: यह वह ध्वनि है जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड स्पंदित होता है और यह हर मंत्र का आधार है। इसे ध्वज पर अंकित करना संपूर्ण ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़े होने का संकेत है।
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कोविदार वृक्ष: इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है और इसे मंदार और पारिजात के दिव्य संयोग से उत्पन्न बताया गया है। सूर्यवंशी परंपरा में इसे शुद्धता, समृद्धि और मर्यादा का वृक्ष माना गया है। वाल्मीकि रामायण में भी भारत के ध्वज पर इसका उल्लेख मिलता है।
द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा और उत्सव का प्रतीक
ध्वजारोहण मंदिर की वास्तु शिल्पीय पूर्णता और संप्रभुता की सार्वजनिक घोषणा का प्रतीक है। कुछ पुजारियों ने इसे द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा कहा है, क्योंकि यह संपूर्ण संरचना को सक्रिय करता है।
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जन्म और विवाह का उत्सव: त्रेता युग में उत्सव श्री राम के जन्म का था, और आज यह शुभ अवसर उनके मंदिर के पूर्ण होने की घोषणा करता है।
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विवाह पंचमी: ध्वजारोहण समारोह विवाह पंचमी के दिन होता है, जो भगवान राम और मां सीता के विवाह का प्रतीक है। यह पूर्ण हो चुके राम मंदिर में राम सीता विवाह उत्सव के उद्घाटन समारोह का भी प्रतीक है।
मुख्य बातें (Key Points)
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अयोध्या के राम मंदिर शिखर पर धर्म ध्वजारोहण की परंपरा को पुनः स्थापित किया गया है, जो 161 फीट ऊंचे शिखर तक पहुंचा है।
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केसरिया रंग का यह ध्वज 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है, जिसे पैराशूट ग्रेड वस्त्र से तैयार किया गया है।
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ध्वज पर सूर्य, ओम और कोविदार वृक्ष के पवित्र चिन्ह अंकित हैं।
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यह समारोह विवाह पंचमी के दिन हुआ, जो राम सीता विवाह उत्सव के उद्घाटन समारोह का प्रतीक है।






