Akali Dal Resignation : शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) में एक बार फिर आंतरिक असंतोष सतह पर आ गया है। वरिष्ठ नेता करनैल सिंह पीर मोहम्मद (Karnail Singh Peer Mohammad) ने पार्टी की नीतियों और नेतृत्व के तरीके से नाराज होकर पार्टी से इस्तीफा (Resignation) दे दिया है। उन्होंने अपने त्यागपत्र में पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं और साफ शब्दों में कहा है कि “श्री अकाल तख्त साहिब (Sri Akal Takht Sahib)” हमारे लिए सर्वोच्च है, लेकिन पार्टी उसे नजरअंदाज कर रही है।
पीर मोहम्मद ने इस्तीफे में स्पष्ट किया कि उनकी नाराजगी का मुख्य कारण 2 दिसंबर के हुकमनामे (Hukamnama) को ज्यों का त्यों लागू न किया जाना है। उन्होंने कहा कि सात सदस्यीय समिति का गठन करने के बाद जत्थेदारों (Jathedars) को दरकिनार कर दिया गया, जो धार्मिक व्यवस्था और परंपरा के खिलाफ है। इस पूरी प्रक्रिया ने उन्हें पार्टी से अलग होने को मजबूर कर दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि इन घटनाओं से क्षुब्ध होकर हरजिंदर सिंह धामी (Harjinder Singh Dhami) ने भी पहले ही इस्तीफा दे दिया था। पीर मोहम्मद ने पार्टी के अंदर धार्मिक निर्णयों को राजनीतिक हितों के अनुसार मोड़ने के प्रयासों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उनका मानना है कि जब तक पंथक ताकतें एकजुट होकर काम नहीं करेंगी, तब तक सिख समाज के हितों की रक्षा संभव नहीं है।
उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि अकाली दल को हमेशा पंथक मूल्यों की रक्षा करने वाली पार्टी के रूप में देखा गया, लेकिन अब इसका रवैया बदलता हुआ दिख रहा है। धार्मिक संस्थाओं और निर्णयों को राजनीतिक मंच से नियंत्रित करने की कोशिशों से उन्होंने स्पष्ट असहमति जताई और पार्टी की वर्तमान दिशा को धर्म विरोधी बताया।
करनैल सिंह पीर मोहम्मद का यह त्यागपत्र न सिर्फ पार्टी के लिए बड़ा झटका है, बल्कि आने वाले समय में पंथक राजनीति में नए समीकरण भी तैयार कर सकता है। उन्होंने अंत में अपील की कि सभी सिख संगठन और नेता एक मंच पर आकर सिख मर्यादा (Sikh Maryada) और परंपराओं की रक्षा के लिए एकजुट हों।