अमृतसर (The News Air) पंजाब विधानसभा में इस बार 13 महिला विधायक जीत कर पहुंची हैं। 92 विधायकों ने 2022 के चुनावों में नामांकन भरा था। महिला सशक्तिकरण के नाम पर सभी पार्टियों ने वोट मांगें। लेकिन अभी भी अधिकतर महिला विधायकों के पति ही हलकों में पहुंच जनता से संपर्क साथ रहे हैं और सरकारी कामों के उद्घाटन तक कर रहे हैं।
विधानसभा हलका संगरूर की विधायिका नरिंदर कौर भराज के पति मनदीप सिंह और लुधियाना से विधायक रजिंदर पाल कौर के पति हरप्रीत सिंह की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। दोनों ही विधायक पति अपने-अपने हलकों में लोगों से तो मिल रहे हैं, लेकिन सरकारी कामों के उद्घाटन भी कर रहे हैं। वहीं, विपक्षी पार्टियों अब आम आदमी पार्टी को इस मुद्दे पर घेरने की तैयारी में हैं।
लुधियाना में कंप्यूटर लैब का उद्घाटन करते हुए विधायक पति।
सब्जी मंडी में फ्लोर का उद्घाटन करने पहुंचे मनदीप
बीते दिनों संगरूर की सब्जी मंडी में सीसी फ्लोरिंग का शुभारंभ किया गया। इस दौरान विधायक भराज के पति मनदीप सिंह उद्घाटन करने पहुंचे। खास बात है कि उद्घाटन के लिए लगाई गई स्लैब पर विधायक भराज का ही नाम था, लेकिन शुभारंभ पति मनदीप सिंह कर रहे थे।
स्कूल में कंप्यूटर लैब को हरप्रीत सिंह ने किया शुरू
वहीं दूसरी तरफ लुधियाना वार्ड नंबर 22 स्थित सरकारी स्कूल शेरपुर खुद में कंप्यूटर लैब का शुभारंभ किया गया। इस दौरान विधायक रजिंदर पाल कौर के पति हरप्रीत सिंह शुभारंभ करने पहुंचे।
पंचायत राज में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी
आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने के बाद से ही महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें कहीं थी। इतना ही नहीं, मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने भी आदेश जारी करके बैठकों व सरकारी कामों में महिला सरपंचों के खुद उपस्थित रहने के आदेश जारी किए थे। लेकिन यह आदेश सिर्फ पंचायतों तक ही सीमित रहे।
2017 चुनावों में 33% हिस्सेदारी का उठा था मुद्दा
पंजाब में महिलाओं को सशक्त करने की बातें सभी पार्टियां पहले से करते आ रही हैं। 2017 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने इसे उठाया था। 2018 में सरकार बनाने के बाद इस मुद्दे पर मता भी पास किया गया और केंद्र को भेजा गया। लेकिन इस पर आज तक लॉ पास नहीं हो पाया।
इतना ही नहीं, 2018 में कांग्रेस ने पंचायतों, नगर परिषदों व नगर निगमों में महिला पदाधिकारियों की हाजिरी जरूरी की थी। इसके बाद अब आम आदमी पार्टी भी सरकार बनने के बाद सिर्फ पंचायतों, नगर परिषदों और नगर निगमों में महिला पदाधिकारियों के आदेश जारी कर चुके हैं। लेकिन वे भी सिर्फ बैठकों तक ही सीमित है।