Bakrid Goat Market in Delhi : ईद-उल-अज़हा (Bakrid) से पहले दिल्ली (Delhi) की मंडियों में बकरों की खरीदारी जोर पकड़ चुकी है, लेकिन इस बार सबकी नज़रें दो ऐसे बकरों पर टिकी हैं जो अपनी कीमत और खासियत दोनों के चलते आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। इन बकरों के मालिकों का दावा है कि उनके शरीर पर प्राकृतिक रूप से अरबी भाषा में ‘अल्लाह’ (Allah) और ‘मोहम्मद’ (Mohammad) लिखा दिखाई देता है। यही कारण है कि इन बकरों की बोली लाखों रुपये तक पहुंच चुकी है।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के शामली (Shamli) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भिंड (Bhind) से लाए गए ये बकरे पुरानी दिल्ली (Old Delhi) की मशहूर मीना बाजार (Meena Bazaar) मंडी में प्रदर्शित किए गए हैं। शामली के निवासी उस्मान, जो पेशे से नाई हैं, अपने 14 महीने के बकरे की कीमत 15 लाख रुपये बता रहे हैं और दावा करते हैं कि इसकी बोली 13 लाख रुपये तक लग चुकी है। इस बकरे की नस्ल जमनापुरी (Jamnapuri) है, जिसका रंग सफेद और शरीर पर जगह-जगह काले धब्बे हैं। सबसे खास बात है इसके गले पर तीन अलग-अलग स्थानों पर उभरे काले निशान, जो अरबी भाषा में ‘अल्लाह’ और ‘मोहम्मद’ की आकृति जैसा प्रतीत होते हैं।
दूसरे बकरे के मालिक मोहम्मद सलीम (Mohammad Saleem) हैं, जो भिंड से दिल्ली आए हैं। वह एक सब्जी विक्रेता हैं और अपने देसी नस्ल के बकरे के गले पर अरबी में ‘मोहम्मद’ शब्द उभरे होने का दावा करते हैं। उनका बकरा लगभग 40 किलोग्राम वजनी और तीन फुट ऊंचा है। उन्होंने इसकी कीमत 5 लाख रुपये तय की है, और अब तक 3 लाख रुपये की बोली लग चुकी है। सलीम का कहना है कि सोशल मीडिया से उन्हें जानकारी मिली कि ऐसे बकरे बकरीद के समय ऊंची कीमतों पर बिकते हैं, इसलिए वह इसे बेचने दिल्ली आए हैं।
दिल्ली की मंडियों में बकरों की भरमार
बकरीद पर कुर्बानी के लिए उत्तर प्रदेश के बरेली (Bareilly), अमरोहा (Amroha), मुरादाबाद (Moradabad), मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) और बदायूं (Budaun) से लेकर हरियाणा और राजस्थान से भी व्यापारी दिल्ली पहुंचते हैं। मीना बाजार (Meena Bazaar), सीलमपुर (Seelampur), जाफराबाद (Jafrabad), मुस्तफाबाद (Mustafabad), शास्त्री पार्क (Shastri Park), जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) और ओखला (Okhla) जैसे क्षेत्रों में मंडियां सजती हैं। यहां ‘तोतापरी’, ‘बरबरा’, ‘मेवाती’, ‘देसी’, ‘अजमेरी’ और ‘बामडोली’ जैसी नस्लों के बकरे बिक्री के लिए लाए जाते हैं।
सामान्य कीमत के बकरों की भी मांग
हालांकि मंडियों में केवल महंगे बकरे ही नहीं हैं। सामान्य वर्ग के बकरों की कीमत 12 हजार से 35 हजार रुपये तक है। पुरानी दिल्ली के कूचा पंडित (Kucha Pandit, Old Delhi) निवासी अतीक-उर-रहमान (Atiq-ur-Rehman) ने बताया कि उन्होंने 30 हजार रुपये में बकरा खरीदा और हर साल ‘अल्लाह’ और ‘मोहम्मद’ लिखे हुए बकरे मंडी में देखे जाते हैं जिन्हें लोग अल्लाह के करीब मानते हैं।
बकरीद की धार्मिक मान्यता
बकरीद को ईद-उल-जुहा (Eid-ul-Zuha) भी कहा जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम (Prophet Ibrahim) ने अपने पुत्र इस्माइल (Ismail) को अल्लाह की राह में कुर्बान करने की तैयारी की थी, और उसी की याद में यह पर्व मनाया जाता है। मुसलमान इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार उन पशुओं की कुर्बानी करते हैं, जो भारतीय कानून के तहत मान्य हैं। यह त्योहार तीन दिन तक मनाया जाता है।
इन मंडियों की चहल-पहल और लाखों रुपये तक बोली के किस्से न सिर्फ बाजार में बल्कि सोशल मीडिया पर भी सुर्खियां बन चुके हैं। लाखों की बोली और धार्मिक मान्यताओं से जुड़े बकरों की यह कहानी बकरीद से पहले दिल्ली की मंडियों में चर्चा का बड़ा विषय बन चुकी है।