कोलकाता, 2 मई
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे एक दम साफ है. बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. ममता बनर्जी की पार्टी चुनाव भारी बहुमत से जीत गई है, लेकिन खुद ममता बनर्जी को करारी मात का सामना करना पड़ा. हालांकि इस बीच असली ‘खैला’ हो गया असदुद्दीन ओवैसी के साथ. उन्हें चुनाव से पहले फुरफुरा शरीफ ने झटका दिया था, तो चुनाव के बाद मतदाताओं ने उन्हें ‘सातों’ खाने चित कर दिया. सातों खाने चित इसलिए, क्योंकि उनकी पार्टी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर उनकी पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.
पश्चिम बंगाल की सभी सातों सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के प्रत्याशियों को करारी हार का मुंह देखना पड़ा है. उनकी पार्टी ने इतहार सीट पर मोफाककर इस्लाम, जलंगी सीट पर अलसोकत जामन, सागरदिघी सीट पर नूरे महबूब आलम, भरतपुर सीट पर सज्जाद हुसैन, मालतीपुर सीट पर मौलाना मोतिउर रहमान, रतुआ सीट पर सईदुर रहमान और आसनसोल उत्तर सीट से दानिश अजीज को मैदान में उतारा था. लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई.
असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम कार्ड खेलने वाले राजनेता माने जाते हैं. उन्होंने बिहार में मुस्लिम मतदाता बहुत सीटों पर ध्यान केंद्रित करके अच्छी सफलता प्राप्त की थी और दूसरी पार्टियों का खेल भी खराब कर दिया था. लेकिन उसी तर्ज पर पश्चिम बंगाल में उन्हें बुरी तरह से हार मिली है. ओवैसी के किसी भी कैंडिडेट को एक हजार वोट भी नहीं मिल पाए, जमानत बचाना बहुत दूर की बात है.
बंगाल की इतहार विधानसभा इलाके में 52 फीसदी के करीब मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन AIMIM कैंडिडेट मोफाककर इस्लाम को 1000 से भी कम वोट मिले. सागरदिघी सीट पर 65 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन AIMIM के नूरे महबूब आलम को पांच सौ वोट भी नहीं मिला. वहीं, मालतीपुर सीट पर 37 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन पार्टी प्रत्याशी मौलाना मोतिउर रहमान भी हजार का आंकड़ा नहीं पार कर सके. रतुआ विधानसभा इलाके में 41 फीसदी, आसनसोल उत्तर में 20 फीसदी तो जांगली विधानसभा इलाके में 73 फीसदी मुस्लिम मतदाना हैं. वहीं, भरतपुर में 58 फीसदी. लेकिन किसी भी सीट पर पार्टी के प्रत्याशी 1000 का आंकड़ा पार नहीं कर सके.